में सारे दिन बहुत उदास रही। कल तो
मेरा प्यारा पेड़ होगा ही नहीं।"
दूसरे दिन सुबह माँ मुझे जगाते हुए बोली,
“मीना, मीना। उठो, उठो। तुम्हें कुछ दिखाऊँ,
ज़रा गुलमोहर को देखो,
“कहाँ? क्या?" मैं आँखें मलते हुए देखने
“ध्यान से देखो, गुलमोहर के पत्तों के
बीच।"
“फूल! गुलमोहर पर फूल आए है।"
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poem
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