मास्टरों की पिटाई को ‘सस्ता सौदा’ समझने वालों का नेता कौन हुआ करता था ?
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मास्टरों की पिटाई को सस्ता सौदा समझने वालों का नेता ‘ओमा’ हुआ करता था।
‘सपनों के से दिन’ पाठ में लेखक ने अपने स्कूल के दिनों के संस्करणों का वर्णन किया है। अपने बचपन के उन संस्मरणों के बारे में लेखक ने कहा है कि मास्टरों द्वारा गर्मी की छुट्टियों में दिये गये गृहकार्य के मुकाबले ओमा उस समय मास्टरों द्वारा की जाने पर पिटाई को सस्ता सौदा मानता था, क्योंकि उसे मास्टर की पिटाई जरा भी डर नही लगता था। बाकी के छात्र भी उसके जैसा बनने की कल्पना करते थे।
गर्मी की छुट्टियां पड़ने पर अध्यापक लोग छात्रों को दो सौ सवाल दे दिया करते थे, लेकिन छात्र लोग आज नही, कल से करेंगे। ऐसा करके टालते रहते और जब थोड़ी सी छुट्टियां बचतीं तो उन्हें होश आता और जब वह गृह कार्य करने को लेते तो समय पर वह गृह कार्य पूरा नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति में वह मास्टरों की पिटाई को सस्ता सौदा समझकर इस स्थिति को स्वीकार कर लेते थे। उन मास्टरों में प्रीतम चंद सबसे अधिक पिटाई करने वाले मास्टर थे। वह बात बात पर छात्रों की बुरी तरह पिटाई करते थे।
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