मुसहर जाती के लोगो को बाढ़ राहत समग्री भी खुशी न दे सके गी? लेखक की यह सोच काइयू बानी? In Hindi of class 9th book
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प्रेरणा
इस स्कूल की शुरुआत साल 2005 में रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी जेके सिन्हा ने की थी. वह बताते हैं कि इस स्कूल का उद्देश्य सबसे पिछड़े और दबे कुचले समुदाय के लिए कुछ करना है.
वह कहते हैं, “मुसहर, दलितों में महादलित के नाम से जाने जाते हैं. इनका नाम मुहसर क्यों पड़ा, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि ये चूहे खाते हैं. मूस यानी चूहा और आहार – मुसहर. ये भूमिहीन और खेतिहर मज़दूर लोग हैं, जिनका न जाने कब से शोषण होता रहा है.”
सिन्हा कहते हैं की ग़रीबी के कुचक्र में फंसे इन लोगों को बाहर निकालने का सिर्फ़ एक ही ज़रिया है और वह है उच्च कोटि की शिक्षा.
शोषित समाधान केंद्र के पीछे अपनी इस प्रेरणा के बारे में सिन्हा एक पुराना क़िस्सा बताते हैं.
वह कहते हैं, “साल 1968 की बात है. मैं आईपीएस की अपनी ट्रेनिंग के दौरान एक ग्रामीण इलाक़े में तैनात था. पता चला कि मुसहर चोरों के गैंग का लीडर एक झोपड़ी में छिपा है. जब हमें उसे पकड़ने गए, तो उस व्यक्ति को हमने सूअरों के बीच सोता हुआ पाया. यह देख कर मैं स्तब्ध रह गया. ऐसी ग़रीबी कभी नहीं देखी थी. तभी तय किया कि जब समय और संसाधन होगा तो इन लोगों के लिए कुछ करेंगे.”