मुसलमानों के लिए प्रत्यक्ष निर्वाचन मंडल की शुरुआत कब हुई
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इसके पहले अक्टूबर 1906 में आगा खां के नेतृत्व में मुसलमानों का एक प्रतिनिधिमंडल वायसराय लार्ड मिन्टो से मिला था और मांग की कि मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन प्रणाली की व्यवस्था की जाए तथा मुसलमानों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाये।
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वर्ष १९०९ में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित एक अधिनियम था, जिसे ब्रिटिश भारत में स्वशासित शासन प्रणाली स्थापित करने के लक्ष्य से पारित किया गया था। यह मार्ले-मिन्टो सुधार के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस समय मार्ले भारत के राज्य सचिव एवं लार्ड मिन्टो भारत के वायसरॉय थे। इन्हीं दोनों के नाम पर इसे मार्ले-मिन्टो सुधारों की संज्ञा दी गयी। ब्रिटिश सरकार द्वारा इन सुधारों को प्रस्तुत करने के पीछे मुख्य दो घटनायएँ थीं। इसके पहले अक्टूबर 1906 में आगा खां के नेतृत्व में मुसलमानों का एक प्रतिनिधिमंडल वायसराय लार्ड मिन्टो से मिला था और मांग की कि मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन प्रणाली की व्यवस्था की जाए तथा मुसलमानों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाये। प्रतिनिधिमंडल ने तर्क दिया कि ‘उनकी साम्राज्य की सेवा’ के लिए उन्हें पृथक सामुदायिक प्रतिनिधित्व दिया जाये।
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