मौसम बदला बाग आम का
महक गया है सारा।
लगा फूलने डाल - डाल
बौर आम का प्यारा।
हवा चलेगी झड़ जाएगा
बौर आम का थोड़ा।
थोड़ा और गिरा जाएगा
तोता या कठफोड़ा।
फिर क्या रह जाएगा बाकी।
सिर्फ बौर का नाम ?
बचा बौर ही बन पाएगा
छोटी-छोटी केरी।
लेकिन आंधी चलने में फिर
नहीं करेगी देरी।
अंबिया दस टूटेगी तब ही
एक बनेगा आम।
वे जो मजबूत जग पर
तनिक नहीं हिलते - डुलते।
आंधी झंझावातों से जो डरते नहीं विचलते।
कभी ना धोखा खाते , उनके पूरे होते काम।
इस कविता का उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए।
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मौसम बदला बाग आम का महक गया है सारा । लगा फूलने डाल - डाल पर बौर आम का प्यारा ।
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Explanation:
लेकिन आंधी चलने में फिर
नहीं करेगी देरी।
अंबिया दस टूटेगी तब ही
एक बनेगा आम।लेकिन आंधी चलने में फिर
नहीं करेगी देरी।
अंबिया दस टूटेगी तब ही
एक बनेगा आम।लेकिन आंधी चलने में फिर
नहीं करेगी देरी।
अंबिया दस टूटेगी तब ही
एक बनेगा आम।
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