मौसम नुक्कड़ नाटक में वर्णित समस्याओं पर प्रकाश डालिए
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(१) ‘मौसम’ नुक्कड़ नाटक मेंवर्णित समस्याएँ :
Explanation:
मौसम नुक्कड़ नाटक में अरविन्द गौड़ जी ने विभिन्न तत्कालीन ज्वलंत समस्याओं को उजागर किया है। पानी की समस्या दिन-ब-दिन विकराल रूप धारण करती जा रही है ।स्वस्थ्य संबंधी कई भयंकर बीमारियाँ जैसे कैंसर ,बाल व त्वचा संबंधी विकार , स्नायु विकार प्रदूषित जल करने के कारण हो रही हैँ। वह दिन दूर नही जब पीने ही नहीं ,नहाने धोने के लिए भी पनि खरीदना पद जाएगा। हमने प्रकृति से इतनी छेड़छाड़ कर दिया है कि उसके कारण ॠतुचक्र में अनियमितता आ गई है ।पहाड़ तोड़े , जंगल काटे, नदियों को सुखा डाला इंसानों ने अतः प्रकृति भी अनियमितता पर उतर आई है। बिन मौसम, वर्ष ना होना बरसात हमारे फसलों को बर्बाद किये दे रहा है, हमारे किसान भी इसीलिए परेशान होकर आत्महत्या तक का कदम उठा लेते हैँ। जलसंचय नहीं हो पा रहा । जहाँ संचय है वहाँ विभिन्न उद्योगों के कारण जल प्रदूषित होता जा रहा है । बड़े उद्योग प्रदूषण नियंत्रण के नियमों का पालन उचित प्रकार से नहीं करते हैँ। जिससे हम सभी का स्वास्थ्य संकटों से घिरा है। प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग के कारण जल के बहाव में रुकावट आ रही है । सीवरों में कूड़े-कचरे के साथ प्लास्टिक जमा हो रहा है । आए दिन सहारों मे बाढ़ की स्थिति हो जाती है। saदकों पर बसें और मोटर ना चलकर नाव चलाने की स्थिति तक हम देखते हैँ। इन सभी अनियमितताओं का सामाजिक जीवन पर अत्यंत प्रभाव पड़ता है।
Explanation:
घर
पकवान कि खुशबु से तरबतर था