मैं समझता हूँ तुम्हारी अंगुली का इशारा भी समझता हूँ और व्यंग्य मुरकान भी
समझता हूँ। तुम मुझ पर या हम सभी पर हँस रहे हो, उन पर जो अंगुली छिपाएँ और
तलुआ घिसाएँ चल रहे हैं, उन पर जो टीले को बरकाकर बाजू से निकल रहे हैं।तुम
कह रहे हो, मैने तो ठोकर मान-मारकर जूता फाड़ लिया, अंगुली बाहर निकल आई
पर पाँव बचा रहा और मैं चलता रहा, मगर तुम अँगुली को ढकने की चिंता में तलुवे
का नाश कर रहे हो तुम चलोगे कैसे?
1-
कहानी तथा कहानीकार का नाम लिखो।
2-
प्रेमचंद मुस्कुराकर क्या कर रहे थे?
'अँगुली छिपाने और तलुआ घिसाने का क्या गूढ आशय है?
3-
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PLSS follow me I will follow you back
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fg
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