मैं सड़क बोल रही है। atmakatha
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मैं सड़क बोल रही है।
जब धूप पड़ने पर चमकती हूँ तो हर व्यक्ति मुझे देखकर मोहित हो जाता है। प्रसन्न होता है कि कितनी सुंदर, सटीक व मजबूत हूँ मैं। मेरे अच्छे निर्माण से हाईवे बनते हैं ,जिन पर ट्रक व भारी वाहन एक जगह से दुसरी जगह सामान ले जाते हैं ।देश की प्रगति को इसी से आंका आ जाता है ।आज के युग में विकसित देश की पहचान मुझसे ही होती है।मैं चलती जाती हूँ किलोमीटर दर किलोमीटर। गांव से गांव को जोड़ती हूँ, शहर से शहर को, देश से देश को ।मुझ पर चलती तेज गाड़ियां आपको ले जाती हैं अपनी मंजिल की तरफ। सड़क के रूप में मैं हर जगह व्याप्त हूं ,चाहे देहात हो,चाहे बड़े-बड़े पहाड़ों पर। मुझे आप हर जगह पाएंगे ।मुझ पर चले बिना तो हवाई जहाज भी उड़ान नहीं भर सकते। मेरे लिए पहाड़ों की चट्टाने भी काटी जाती हैं। मुझ पर चलकर वाहन पहाड़ वासियों के लिए ,सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए खाने पीने तथा पहनने का आवश्यक सामान ले जाया जाता है ।मेरी बुनियाद सफेद सीमेंट के पत्थरों से बनाई जाती है। फिर उस पर काली लुक डालकर पक्का कर दिया जाता है।बारिश व भारी वाहन की आवाजाही से मैं टूट फूट जाती हूँ ।समय पर मरम्मत कराने से ही मैं सुंदर रहती हूँ। कुछ साल पहले आगंतुक मेरे आसपास के पेड़ों की छाया में बैठकर विश्राम कर लेते और फिर आगे बढ़ जाते, लेकिन आज के आधुनिक युग में मेरे नजदिक बड़ी -बड़ी ईमारते , दुकानें व लंबी लंबी बिल्डिंग खड़ी कर दी गई हैं।मुझे हरे भरे वृक्ष फूलों से लदी डालियां बहुत भाती है। आप सब से अनुरोध है कि मुझे भी सजा कर रखिए। कूड़ा करकट मत फेंकिए ।मैं आपके शहर की शोभा बनुगीं।
क्या इंसान का जीवन भी एक लंबी सड़क के समान नहीं है। शुरू से अंत तक बहुत से लोग हमारे जीवन में आते हैं ।कुछ खट्टी ,कुछ मीठी यादें छोड़ जाते हैं। जीवन की मुश्किलें उन खड्डों की तरह हैं जो सड़क को करूप बना देती हैं ।जैसे हम सड़क के खड्डे भर देते हैं, वैसे ही जीवन में भी हमें प्रेम, विश्वास व मेहनत से मुश्किलों के खड्डों को भर कर आगे बढ़ना चाहिए। जिंदगी में हम सबको भी अच्छे बुरे वक्त का सामना करना पड़ता है ।अपने साहस से , बड़ों के आशीर्वाद से ,हम हर मुश्किल पर जीत पाकर आगे बढ़ जाते हैं । सुखद भविष्य के लिए हमें सड़क से प्रेरणालेकर, बिना रुके, बिना झुके बिल्कुल सड़क की तरह आगे बढ़ना चाहिए।