Hindi, asked by vern0603, 5 hours ago

मुंशी प्रेमचंद की जीवनी/जीवन परिचय "IN HINDI"
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Answered by tpalak105
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Explanation:

मुंशी प्रेमचन्द्र का जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश राज्य में बनारस (वाराणसी) जिले के लमही नामक गांव में हुआ था। मुंशी जी के बचपन का नाम (munshi premchand childhood name) धनपत राय था। तीन बहनों में सबसे छोटे भाई मुंशी जी नवाब राय के नाम से भी मशहूर थे

मुंशी प्रेमचन्द्र बचपन से ही अपनी मां और दादी के बेहद करीब थे। लेकिन मुंशी जी महज 8 साल के थे, जब उनकी माता का स्वर्गवास हो गया और कुछ समय बाद उनकी दादी भी चल बसीं। वहीं उनकी बड़ी बहन की भी शादी हो चुकी थी।ऐसे में मुंशी जी बेहद अकेले हो गए। इसी बीच पिता का तबादला गोरखपुर हो गया।

मुंशी जी ने 7 साल की उम्र में लमही में ही स्थित एक मदरसे से अपनी स्कूली शिक्षा शुरु की थी। मुंशी जी को बचपन से ही किताबें पढ़ने का बेहद शौक था। उन्होंने छोटी सी उम्र में पारसी भाषा में लिखित तिलिस्म-ए-होशरुबा किताब पढ़ ली थी। इसी दौरान मंशी जी को किताबों की दुकान पर नौकरी मिल गई। किताबों की बिक्री के साथ-साथ मुंशी जी को यहां ढ़ेर सारी किताबें पढ़ने का मौका मिला।

वहीं मुंसी जी ने एक मिशनरी स्कूल से अंग्रेजी भाषा की शिक्षा प्राप्त की, जिसके बाद उन्होंने जॉर्ज रेनॉल्ड्स के द्वारा लिखी मशहूर किताब ‘द मिस्ट्री ऑफ द कोर्ट ऑफ लंदन’ का आठवां संस्करण भी पढ़ा।मुंशी प्रेमचन्द्र के अंदर लिखने का हुनर बचपन से ही था। उन्होंने अपनी पहली कहानी गोरखपुर में ही लिखि थी। यह कहानी एक पढ़े-लिखे नौजवान और एक पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने वाली महिला की प्रेम कहानी थी।

दरअसल पन्द्रह – सोलह साल तक की जिस उम्र में आम बच्चे दुनिया से रुबरु होने की कला सीखना शुरु करते हैं, उसी उम्र तक मुंशी जी जिंदगी की कई हकीकतों से वाकिफ हो चुके थे। राम विलास शर्मा की जुबां में –“सौतेली माँ का व्यवहार, बचपन में शादी, पंडे-पुरोहित का कर्मकांड, किसानों और क्लर्कों का दुखी जीवन-यह सब प्रेमचंद ने सोलह साल की उम्र में ही देख लिया था।”

शायद यही कारण था कि उनकी परिपक्कवता की झलक उनके साहित्य में आसानी से देखी जा सकती थी। मुंशी जी ने ‘देवस्थान रहस्य’ शीर्षक नाम से अपना पहला उन्यास लिखा, जिसे उन्होंने ‘नवाब राय’ केनाम से प्रकाशित कराया।

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Answered by llCrownPrincell
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Answer:

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Explanation:

धनपत राय श्रीवास्तव (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।

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