मुंशी प्रेमचंद ने जैनेंद्र कुमार की तुलना किस विदेशी साहित्यकार से की है.
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¿ मुंशी प्रेमचंद ने जैनेंद्र कुमार की तुलना किस विदेशी साहित्यकार से की है ?
➲ मैक्सिम गोर्की से
✎... ‘मुंशी प्रेमचंद’ ने ‘जैनेंद्र कुमार’ की तुलना विदेशी साहित्यकार विदेशी साहित्यकार ‘मैक्सिम गोर्की’ से की है।
‘मुंशी प्रेमचंद’ ने ‘जैनेंद्र’ को ‘भारत का गोर्की’ कहकर महिमामंडित किया है। जैनेंद्र जिनका पूरा नाम जैनेंद्र कुमार था, हिंदी साहित्य के एक विशिष्ट साहित्यकार रहे हैं। उन्होंने हिंदी उपन्यास के इतिहास में एक अनूठी परंपरा कायम की। वे हिंदी में मनोवैज्ञानिक कथा साहित्य के जन्मदाता के रूप मे जाने जाते है। जैनेंद्र कुमार का वास्तविक नाम आनंदीलाल था और उनका जन्म 2 जनवरी 1950 को एवं मृत्यु 24 दिसंबर 1988 को हुई। वह उपन्यास और कहानी के क्षेत्र में सिद्धहस्त माने जाते रहे हैं।
मुंशी प्रेमचंद ने उनको भारत का गोर्की कहकर सम्मान दिया था। गोर्की यानि मैक्सिम गोर्की रूसी भाषा के एक साहित्यकार थे, जिन्होंने सर्वहारा वर्ग से संबंधित साहित्य की रचना की थी। जैनेंद्र और गोर्की के साहित्य में बेहद समानताएं मिलती हैं, इसी कारण प्रेमचंद ने जैनेंद्र कुमार को भारत का गोर्की कहा था।
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Answer:
प्रेमचंद को हिंदी का सबसे बड़ा साहित्यकार माना जाता है. भारत की आज़ादी के पहले देश के यथार्थ का जैसा चित्रण प्रेमचंद के साहित्य में मिलता है वैसा किसी अन्य लेखक के साहित्य में नहीं मिलता.
औपनिवेशिक शासन के प्रभाव स्वरूप भारत के ग्रामीण जीवन में जो बदलाव आए उसका प्रेमचंद ने आम लोगों की भाषा में गोदान, गबन, निर्मला, कर्मभूमि, सेवासदन, कायाकल्प, प्रतिज्ञा जैसे उपन्यासों और कफ़न, पूस की रात, नमक का दारोगा, बड़े घर की बेटी, घासवाली, ईदगाह जैसी कई कहानियों में यथार्थ चित्रण किया.
तत्कालीन ग्रामीण समाज की ग़रीबी, जहालत, शोषण, उत्पीड़न, वंचना, भेदभाव, धार्मिक विसंगति, महिलाओं की बदहाली जैसी सच्चाइयां और अंग्रेज़ी शासन के शोषण का असली चेहरा प्रेमचंद की लेखनी का संस्पर्श पाकर जीवंत हो उठे.
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