मुंशी प्रेमचंद्र जी की किसी भी कहानी के किसी एक पात्र के चरित्र का वर्णन करना है। *समय- १ मिनट)
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Explanation:हिंदी भाषा के महान लेखक मुंशी प्रेमचंद्र जी का जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के लम्ही नामक ग्राम में हुआ था। पिताजी पेशे से अंग्रेजी सरकार के डाकखाना में मुंशी के पद पर थे। 8 वर्ष की आयु में ही इनकी माता आनंदी देवी का स्वर्गवास हो गया था। मुंशी जी का वास्तविक नाम धनपत राय था। लेकिन साहित्य क्षेत्र में वह अपने आप को प्रेमचंद के नाम से प्रस्तुत किया।
सन 1898 में इन्होंने हाईस्कूल की परीक्षा पास की थी। इसके अलावा शिक्षक के रूप में उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत की थी। अपने पेशे के साथ अध्यापन को भी जारी रखा। सन 1910 में उन्होंने बारहवीं की परीक्षा पास की थी। इसके बाद सन 1918 मे इन्होंने स्नातक तथा दरोगा की परीक्षा भी पास की थी। अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए इन्होंने शिक्षण का भी कार्य करना पढ़ा था।
मात्र पंद्रह वर्ष की अवस्था में ही इनका विवाह हो गया था। शादी के समय ही इनके पिताजी का देहांत हो गया था। पिता जी की असमय मृत्यु हो जाने पर परिवार की सारी जिम्मेदारी इनके कंधों पर आ गई। उस समय गांधी जी असहयोग आन्दोलन चला रहे थे। उन्ही से प्रभावित होकर इन्होंने दरोगा की नौकरी छोड़ दी थी।
कहानी उपन्यास विधा के धनी मुंशी प्रेमचंद ने आंदोलन को प्रेरणा देने के लिए साहित्य लेखन को चुना। सर्वप्रथम इन्होंने नवाब राय उर्दू भाषा से जिन्होंने लेखन कार्य शुरू किया था। इसके अलावा फिर इन्होंने हिंदी भाषा में कई सारे उपन्यास जैसे कि गबन गोदान, निर्मला,कर्मभूमि, रंगभूमि सेवा सदन जैसे कई बेहतरीन उपन्यास को लिखा।