मिश्रित फसल क्या है ? इससे क्या-क्या लाभ हैं ?
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जब फसलों के उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन भी किया जाता है तो इसे मिश्रित कृषि या मिश्रित खेती कहते हैं। जब एक बार में एक से अधिक फसल एक जगह पर उगाया जाता है तो उसे मिश्रित फ़सल कहते हैं।
मिश्रित फ़सल के लाभ-
विभिन्न फसलों की वृद्धि का क्रम, उनकी जड़ों की गहराई एवं उनके पोषक तत्वों की आवश्यकता अलग-अलग होती है। यदि दो ऐसी फसलें जैसे- आलू, मक्का, हल्दी, अरहर, मूंगफली, जिनमें एक उथली जड़ वाली तथा दूसरी गहरी जड़ वाली हो तो दोनों भूमि की अलग-अलग सतहों से नमी एवं पोषक तत्वों का भरपूर अवशोषण तथा उपयोग करती हैं। इस प्रकार जल एवं पोषक तत्वों के उपयोग की क्षमता बढऩे से उनकी उपज बढ़ जाती है।
वैज्ञानिकों के विभिन्न शोधों में यह भी पाया गया है कि कुछ फसलों का मिश्रण अधिक सफल होता है जबकि कुछ अन्य फसलों का मिश्रण उतना लाभ नहीं दे पाते हैं। जैसे- नारियल, केला, अदरक फसल प्रणाली में सूर्य के प्रकाश का अधिकतम उपयोग होता है, जिससे तीनों फसलों की अधिक उपज प्राप्त होती है। हल्दी, मक्का, अरहर भी उत्तम मिश्रण है।
सघन अनुसंधान से यह पता चला है कि कुछ फसलें ऐसा प्रभाव उत्पन्न करती हैं जो दूसरी फसलों के लिए अधिक लाभप्रद होती है।
ऊंचे कद वाली फसलों की छाया ऐसी फसलों के लिए लाभप्रद हो जाती है जिन्हें कड़ी धूप की आवश्यकता नहीं होती है। जैसे- अरहर, अनानास, अरहर, हल्दी, अरहर, अदरक आदि।