मिश्रित मछली संवर्धन क्या होता है? इसके क्या लाभ है?
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तालाब में मछलीपालन के साथ बतख पालन का समन्वित खेती लाभप्रद व्यवसाय है।
मछली सह बतख पालन से प्रोटीन उत्पादन
का उचित उपयोग होता है। मछली सह बतख पालन से प्रति हेक्टयर प्रतिवर्ष 2500-3000 किलोग्राम मछली, 15000-18000 अण्डे तथा 500-600 किलोग्राम बतख के मांस का उत्पादन किया जा सकता है। इस प्रकार के मछलीपालन में न तो जलक्षेत्र में कोई खाद उर्वरक डालने की आवश्यकताहै, और न ही मछलियों को पूरक आहार देने की आवश्यकता है। मछलीपालन पर लगने वाली लागत 40 से 60 प्रतिशत कम हो जाती है। पाली जाने वाली मछलियां और बतखें एक दूसरे की अनुपूरक होती हैं। बतखें पोखर के कीड़े-मकोड़े, मेढ़क के बच्चे टेडपोल, धोंधे, जलीय वनस्पति आदि खाती हैं। बतखों को पोखर के रूप में साफ-सुथरा एवं स्वस्थ परिवेद्गा तथा उत्तम प्राकृतिक भोजन उपलब्ध हो जाता है तो बतख के पानी में तैरने से पानी में आक्सीजन की धुलनशीलता बढ़ती है जो मछली के लिए आवश्यक है।
मछली सह-बतखपालन से लाभ
1. मछली सह बतखपालन से तालाब में अतिरिक्त खाद डालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
2. मछलियां बतख की गिराई गई खुराक तथा विष्ठा को भोजन के रूप में ग्रहण करती हैं, जिसके कारण अतिरिक्त कृत्रिम आहार मछलियों को नहीं देना पड़ता।
3. बतखें जलीय वनस्पति पर नियंत्रण रखती हैं।
4. बतखों को अपने भोजन का 50-60%भाग जलक्षेत्र से ही प्राप्त हो जाता है तथा कीड़-मकोड़े, पौधे, मेढ़क के बच्चे भोजन के रूप में ग्रहण करती हैं, जो कि मछलियो के लिए हानिकारक है।
5. तालाब में बतख के तैरते रहनेसे वायुमण्डल की आँक्सीजन निरंतर पानी में धुलती है।
6. बतख भोजन के लिए तालाब के तल की मिट्टी को उछालती रहती हैं, जिसके कारण उसमें विद्यमान पोषक तत्व पानी में आते रहते हैं, जिससे जलक्षेत्र की उत्पादकता में वृद्धि होती है।
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