माता अपने पुत्र से स्नेह करती है। संस्कृत अनुवाद करिए।
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संस्कृत वार्तालाप या संस्कृत वाग्व्यवहार
इस ‘संस्कृत वाग्व्यवहार’ के माध्यम से आप परस्पर संस्कृत में वार्तालाप कर सकेंगे। समाज में प्रचलित शब्दावलियों का ज्ञान कर सकेगें। ये सभी लोक व्यवहार में उपयोगी संवाद है। संवाद का स्तर अत्यन्त साधारण रखा गया है। इन संवादों का आप जीवन में उपयोग होता है। संवाद में अवसरोचित क्रियाओं प्रयोग नई वाक्य शृंखला में
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माता अपने पुत्र से स्नेह करती है। संस्कृत अनुवाद होगा:माता स्वपुत्रं प्रेम करोति।
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एक भाषा में कही या लिखी हुई बात का दूसरी भाषा में अर्थपूर्ण परिवर्तन अनुवाद कहलाता है। अनुवाद का कार्य प्राचीन काल से चला आ रहा है।
संस्कृत में 'अनुवाद' शब्द का प्रयोग कई संदर्भों में किया जाता है जैसे पुनरावृत्ति, पुन: कथन, समर्थन के लिए प्रयुक्त कथन, शिष्य द्वारा आवृत्ति। 'अनुवाद' शब्द संस्कृत के 'वद' धातु से बना है। 'वद' का अर्थ है बोलना। 'वद' धातु में प्रत्यय 'अ' जोड़ने पर उसका संशोधित रूप 'वद' होता है, जिसका अर्थ है - 'कहने की क्रिया' या 'कही हुई बात'। 'वद' में 'अनु' उपसर्ग लगाने से 'अनुवाद' शब्द बनता है, जिसका अर्थ है, प्राप्त कथन को दोहराना। इसका पहली बार मोनियर विलियम्स द्वारा अंग्रेजी शब्द अनुवाद के पर्याय के रूप में प्रयोग किया गया था। तभी 'अनुवाद' शब्द का प्रयोग किसी व्यक्ति द्वारा एक भाषा में किसी अन्य भाषा में प्रस्तुत की गई सामग्री को फिर से प्रस्तुत करने के लिए किया जाता था।
वास्तव में भाषा के इन्द्रधनुष रूप को पहचानने का सबसे सशक्त माध्यम अनुवाद है। किसी भी भाषा की समृद्धि का शोर मचाकर अनुवाद की आवश्यकता को टाला नहीं जा सकता और न ही अनुवाद की बहुविध उपयोगिता को नकारा जा सकता है।
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