Hindi, asked by mdmuksedur1998, 4 months ago

मातृभूमि का गुणगान करने के लिए कवि क्या करना चाहते हैं ?​

Answers

Answered by Anonymous
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Answer:

नीलांबर परिधान हरित तट पर सुन्दर है।

सूर्य-चन्द्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है॥

नदियाँ प्रेम प्रवाह, फूल तारे मंडन हैं।

बंदीजन खग-वृन्द, शेषफन सिंहासन है॥

करते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस वेष की।

हे मातृभूमि! तू सत्य ही, सगुण मूर्ति सर्वेश की॥

जिसके रज में लोट-लोट कर बड़े हुये हैं।

घुटनों के बल सरक-सरक कर खड़े हुये हैं॥

परमहंस सम बाल्यकाल में सब सुख पाये।

जिसके कारण धूल भरे हीरे कहलाये॥

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Explanation:

Answered by franktheruler
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मातृभूमि का गुणगान करने के लिए कवि आत्मसमर्पण करना है

  • दिया गया प्रश्न मातृभूमि कविता से लिया गया है।
  • इस कविता के कवि है राष्ट्रकवि मैथिलशरण गुप्त जी
  • इस कविता के माध्यम से कवि मातृभूमि का गुण गान करते हुए आत्म समर्पण करना चाहते है । उन्होंने उस कविता में मातृभूमि की विशेषताएं बताई है, देशप्रेम व क्रकृती का चित्रण भी किया है।
  • कवि कहते है कि मातृभूमि में हरियाली छाई है व नीला आकाश एक सुंदर वस्त्र की तरह सुशोभित है। कवि कहते है कि मातृभूमि सगुण आकार मूर्ति है। सूर्य तथा चांद उसके मुकुट है। इस मातृभूमि में जो नदियां बहती है उनके प्रवाह में प्रेम भरा हुआ है। पक्षी तक मातृभूमि का गुण गान करते है ।
  • बादल पानी बरसाकर मातृभूमि का अभिषेक करते है।अदिशेष का सहस्र फन मातृभूमि के सिंहासन की तरह सुशोभित है।
  • कवि कहते है कि मातृभूमि हमारी मां की तरह है इसलिए हमे इसका गुण गान करना चाहिए।

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