'मातृभूमि का मान' की वर्तमान प्रासंगिकता लिखिए
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हरिकृष्ण प्रेमी विख्यात नाटककार एवं पत्रकार थे। उन्होंने अपनी प्रतिभा द्वारा एकांकी साहित्य को समृद्ध बनाने में अपूर्व योगदान दिया है। राष्ट्रीय चेतना को जगाकर साम्प्रदायिक बंधुत्व की भावना समाज में रोपना उनका आदर्श था। प्रेमी जी की रचनाओं में भावुकता है, भाषा सरस एवं काव्यमय होते हुए भी सरल है। मातृभूमि की रक्षा के लिए क्या-क्या बलिदान नहीं करना पड़ता और उसके मान के लिए मित्र-शत्रु कैसे सब एक सूत्र में बँधकर स्वदेश प्रेम की आत्मा को जीवित रखते हैं, यह एकांकी मातृभूमि का मान’ हमारे सामने एक आदर्श प्रस्तुत करता है। वीरसिंह मेवाड़ का एक सिपाही है लेकिन बूँदी का रहने वाला है, अत: वह नकली बूँदी की रक्षा के लिए भी अपने प्राणों को न्यौछावर कर देता है तथा इस प्रकार अपनी मातृभूमि के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करता है तथा सभी के सम्मान का पात्र बनता है।
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