मातृभूमि कविता का सारांश लिखिए
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Explanation:
मातृभूमि गुप्त जी की एक प्रसिद्ध कविता है, जिसमें अपने जन्मभूमि का गुणगान करके उसकेलिए अपने जान भी देना का आह्वान करते हैं। मातृभूमि के हरियाली केलिए नीलाकाश एक सुंदर वस्त्र की तरह शोभित है। सूरज और चाँद इसकी मुकुट है, सागर इसकी करधनी है। यहाँ बहनेवाली नदियाँ प्रेम का प्रवाह है।
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मातृभूमि कविता:
व्याख्या:
- विनायक कृष्ण गोकक ने भारत माता और कवि के बीच संवाद की शैली में कविता लिखी।
- इस कविता में कवि भारत के प्राकृतिक सौन्दर्य का एक अद्भुत चित्र प्रस्तुत करने के साथ-साथ अतीत की एक गौरवशाली दृष्टि प्रस्तुत करने की इच्छा रखता है।
- "भारत का गीत" कविता में वक्ता सोचता है कि उसे अपनी मातृभूमि के लिए क्या गाना चाहिए, क्या उसकी प्रशंसा करनी चाहिए।
- हिमालय, उसकी प्रचुरता, या तीनों पक्षों का मौसम। या यह उन भिखारियों और कोढ़ियों के बारे में हो सकता है जो उसकी सड़कों पर या गंदी परिवेश में अक्सर आते हैं।
- इसी तरह देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में गाना गाए या देश के लिए अपनी जान जोखिम में डालने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बहस।
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