मातृभाषा के प्रति अभिरुची
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मुझे आपसे भाषा की पराधीनता के विषय पर बात करनी है। अपने भारत देश की आजादी के 63 साल बाद में सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि भाषा के स्तर पर अभी तक हम स्वतंत्र नहीं हो पाए, स्वाधीन नहीं हो पाए, भाषा के स्तर पर अभी भी हमारे देश में बहुत गहरी गुलामी है। दुर्भाग्य हमारे देश का ये है कि आजादी के पहले ये भाषा की गुलामी जितनी थी, आजादी के 63 साल के बाद ये भाषा की गुलामी और अधिक बढ़ गई है, और भी गहरी हो गई है। भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से तो आजाद हो गया है लेकिन अंग्रेज़ियत की गुलामी, भाषा की गुलामी अभी भी इस देश में बरकरार हैं| मुझे ये कहते हुए बहुत दुख होता है, अपफसोस होता है कि दुनिया में बहुत सारे देश अलग-अलग समय पर गुलाम हुए हैं। दुनिया में कुल 200 देश है। इनमें से 71 देशों का इतिहास ऐसा है जो अलग-अलग समय परग ुलाम हुए हैं। गुलामी के लंबे दौर को उन्होंने झेला है, भोगा है। हमारे बहुत सारे पडोसी देश है, चीन भी काफी लम्बे समय तक गुलाम रहा है, मलेशिया गुलाम रहा है मिस्त्र गुलाम रहा है, इंडोनेशिया गुलाम रहा है, बर्मा गुलाम रहा है, श्रीलंका गुलाम रहा है और थोड़ा दूर में चले तो ब्राजील, मैल्सिको, चिली, को स्टारेपफा, कोलम्बिया, क्यूबा जैसे देश अलग-अलग समय पर गुलाम हुए हैं। जापान गुलाम हुआ, चीन गुलमा हुआ है। दुनिया में कैसे कुल 71 देश हैं जो अलग-अलग समय पर किसी न किसी के गुलाम हुए हैं। कोई अंग्रेजों का गुलाम हुआ, कोई फ़्रांसीसियों का गुलाम हुआ, कोई डच लोगों का गुलाम हुआ जिनको हालैंड निवासी कहा जाता है, कोई स्पेनिश लोगों का गुलाम हुआ, कोई पुतर्गालियों का गुलाम हुआ। अलग-अलग समय पर बहुत सारे देश गुलाम हुए हैं लेकिन गुलामी के बाद उन सभी देशों ने सबसे पहले अपनी मातृ-भाषा को स्थापित कराया है और सबसे पहले अपनी मातृभाषा को अपनाया है, और उसके बाद वो देश आजादी की राह पर इतने आगे बढे, तेजी से भारत से भी बहुत आगे निकल गए हैं। कई सारे देश जो आजादी में भारत से पीछे रहे माने जिनकी आजादी भारत के बाद आई है जैसे मैं नाम ले के आपको उदाहरण दूँ हमारा पडौसी देश है- चीन जिसकी आजादी हमसे दो साल बाद आई है। हम तो 1947 में आजाद हो गए लेकिन चीन तो 1949 में जाकर एक बड़ी क्रान्ति के बाद आजाद हुआ। लेकिन चीन हमसे कई गुणा आगे निकल चुका है- आर्थिक रूप से, सामाजिक रूप से और वैश्विक ताकत के रूप में सारी दुनिया में चीन का डंका अभी बज रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति को चीन में जाकर चीन की सरकार को सलामी देनी पड़ रही है, चीन की सरकार को नमस्ते करनी पड़ रही है। कभी भी ऐसा दुनिया में नहीं हुआ कि अमेरिका का राष्ट्रपति चीन में जाकर चीन को सलामी दे लेकिन अभी अमेरिकी राष्ट्रपति ये कहते हैं कि सारी दुनिया में अभी ताकत के रूप में जो सबसे महत्वपूर्ण देश उभर रहा है वो चीन। ये चीन 1949 तक भूखमरी का शिकार था, दुनिया में सबसे पीछे गिने जाने वाले देशों में गिना जाता था, आज उसकी अर्थवयव्स्था बहुत तेज है, समाज व्यवस्था बहुत बेहतर है, राज्य प्रशासन उनके यहां कापफी कुछ भ्रष्टाचार से मुक्त है, थोडत्र बहुत भ्रष्टाचार वहां होता है लेकिन ऐसा नहीं जैसे भारत में होता हैं सारी दुनिया के लोग चीन कालोहा मान रहे हैं चीन को नेता मान रहे हैं, चीन को विश्व गुरू की पदवी दी जा रही हैं ये सब चीन का हो रहा है, आखिर इन सबके पीछे कारण क्या है? चीन के विद्वानों से अगर आप पूछेंगें कि आप मुश्किल से पिछले साठ-बाषठ साल से इतनी तरक्की कैसे कर ली है, तो वो सबसे सब एक ही बात कहते हैं, एक ही जवाब देते हैं कि हमने हमारी मातृभाषा को राष्ट्रभाषा बनाया है। हमने हमारी मातृभाषा को अपेन जीवन में लाया हैं हमने हमारी मातृभाषा को विज्ञानों और तकनीकी की भाषा बनाया हैं हमने हमारी मातृभाषा केा पाठशाला और विश्वविद्यालय की भाषा बनाया हैं हमने हमारी मातृभाषा को शोध् और प्रक्रिया की भाषा बनाया है
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