"मातृभाषा के प्रति घटती अभिरुचि" पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद
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परोपकार घर से आरंभ होती है। हम अपनी विरासत - हमारी मातृभाषा खो रही है। इसके जिम्मेदार केवल हम है।
परोपकार घर से आरंभ होती है। हम अपनी विरासत - हमारी मातृभाषा खो रही है। इसके जिम्मेदार केवल हम है।औपचारिक शिक्षा में जाने के बजाए अपने बच्चों को अपनी मातृभाषा को पढ़ाने और खिलाने की जिम्मेदारी लेना और एक जिम्मेदारी बिंदु है।
परोपकार घर से आरंभ होती है। हम अपनी विरासत - हमारी मातृभाषा खो रही है। इसके जिम्मेदार केवल हम है।औपचारिक शिक्षा में जाने के बजाए अपने बच्चों को अपनी मातृभाषा को पढ़ाने और खिलाने की जिम्मेदारी लेना और एक जिम्मेदारी बिंदु है।हमें सीखने या हमारी भाषा बोलने में रुचि नहीं है।हम अंग्रेजी का उपयोग किये बिना हमारी भाषा में एक वाक्य बनाने में विफल रहते हैं।
परोपकार घर से आरंभ होती है। हम अपनी विरासत - हमारी मातृभाषा खो रही है। इसके जिम्मेदार केवल हम है।औपचारिक शिक्षा में जाने के बजाए अपने बच्चों को अपनी मातृभाषा को पढ़ाने और खिलाने की जिम्मेदारी लेना और एक जिम्मेदारी बिंदु है।हमें सीखने या हमारी भाषा बोलने में रुचि नहीं है।हम अंग्रेजी का उपयोग किये बिना हमारी भाषा में एक वाक्य बनाने में विफल रहते हैं।यह सबूत है कि हम यह स्वीकार नहीं कर सकते कि हम कौन हैं।हमारी मातृभाषा को ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रेरणा और गर्व का स्रोत बनाने में विफलता है।
परोपकार घर से आरंभ होती है। हम अपनी विरासत - हमारी मातृभाषा खो रही है। इसके जिम्मेदार केवल हम है।औपचारिक शिक्षा में जाने के बजाए अपने बच्चों को अपनी मातृभाषा को पढ़ाने और खिलाने की जिम्मेदारी लेना और एक जिम्मेदारी बिंदु है।हमें सीखने या हमारी भाषा बोलने में रुचि नहीं है।हम अंग्रेजी का उपयोग किये बिना हमारी भाषा में एक वाक्य बनाने में विफल रहते हैं।यह सबूत है कि हम यह स्वीकार नहीं कर सकते कि हम कौन हैं।हमारी मातृभाषा को ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रेरणा और गर्व का स्रोत बनाने में विफलता है।हम सबको अपनी मातृभाषा के ओर रूचि लेना ही चाहिए। वरना एक दिन हमारी अपनी पहचान लुप्त हो जाएगी यदि हम अपनी मातृभाषा नहीं बोलेंगे।
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अपनी सहज सरल भाषा के प्रति घटती रुचि उनके इस सोच का ही कारण है। जिस समय देश स्वतंत्र हुआ उस समय लोगों में अपनी मातृभाषा के लिए अच्छी भावना थी इसलिए हिंदी के विकास के लिए राष्ट्रीय-स्तर पर प्रयास किए गए। मातृभाषा के सुधार के लिए नीतियाँ बनाई गई कि शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होगी।