Hindi, asked by avni7625, 10 months ago

'मोट चून मैदा भया' मे निहित अर्थ स्पष्ट कीजिए
chapter sakhiyan
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Answered by shishir303
27

◉ यह पंक्तियां कबीर दास द्वारा रचित ‘साखियां एवं सबद’ से ली गई हैं। पंक्तियां इस प्रकार हैं...

काबा फिरहिं कासी भया, रामहिं भया रहीम।

मोट चून मैदा भया, बैठि कबीर जीम।।

► इन पंक्तियों में ‘मोट चून मैदा भया’ में निहित भावार्थ है कि जब धर्मों के बीच का मतभेद मिट जाता है तो धर्मों के बीच व्याप्त संकीर्णता खत्म हो जाती है। चून अर्थात आटा यानि धर्मों के बीच व्याप्त संकीर्णता एक मोटे आटे के समान है। ये संकीर्णता रूपी मोटा आटा बारीक मैदा बन गया है, यानि संकीर्णता मिट गयी है। काबा और काशी मिलकर एक हो गये हैं और ईश्वर को पाने का रास्ता सुगम हो गया है।

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हस्ती चढ़िये ज्ञान कौ सहज दुलीचा डारी

स्वान रूप संसार है भूंकन दे झख मारि।

भावार्थ

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भावार्थ लिखिए :

(क) कोयल काको देत है कागा कासो लेत।

तुलसी मीठे वचन ते जग अपनो करि लेत।।

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Answered by purnendukumardas1975
8

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