' माता का अँचल ' चल पाठ में बच्चे का माता और पिता दोनों से जुड़ाव प्रकट हुआ है फिर भी इस पाठ का शीर्षक माता का अँचल है आप की दृष्टि मैं इस के क्या कारण हैं?
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इस कहानी में यह दिखाया गया है कि बच्चा चाहे लाख अपने पिता के पास समय व्यतीत करता हो लेकिन भरपेट खाना तो उसे माँ ही खिला पाती है। बच्चा चाहे अपने पिता के बहुत निकट हो, लेकिन घोर विपत्ति आने पर उसे माँ की गोद में ही सुरक्षा महसूस होती है। इसलिए इस कहानी के लिए ‘माता का अँचल’ शीर्षक उपयुक्त है। मेरी राय में इसका एक और उचित शीर्षक हो सकता है, ‘सुनहरा बचपन’|
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