माता का आँचल explain
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दोनों प्रेम के रूप हैं पर ममता में कठोरता का कोई स्थान नहीं होता। पिता के स्नेह में किंचित कठोरता शामिल हो सकती है। इसलिए बच्चा अपने पिता का स्नेह प्राप्त करके आनंदित हो सकता है पर उसमें माँ के प्रेम के बराबर सुख नहीं मिलता है।
भोलानाथ को अपने पिता से लगाव था पर विपदा के समय वह अपनी माँ के पास जाता है। क्योंकि पिता से डांट खाने की संभावना थी पर माँ की गोद में हर स्थिति में प्रेम, ममता और दुलार मिलना निश्चित था।
वह एक बच्चा था और उसे खेल कूद अच्छा लगता था। उनके साथ वह खेल में मगन हो जाता था। एक बार जब वह गुरूजी से डांट खाने के बाद अपने पिता के साथ रोता हुआ जा रहा था, उसने अपने मित्रों को एक चिड़िया के झुण्ड के साथ खेलते हुए देखा। वह अपना दुःख भूल गया और उनके साथ खेलने लगा।
भोलानाथ और उसके साथी आस पास उपलब्ध चीजों से खेलते थे। वे मिट्टी के टूटे फूटे बर्तन, धूल, कंकड़ पत्थर, गीली मिट्टी और पत्तियों से खेलते थे। वे समधी को बकरे पर सवार करके बारात निकालने का खेल खेलते थे। कभी कभी लोगों को चिढ़ाते थे।
एक दिन जब पिताजी रामायण पढ़ रहे थे भोलानाथ अपने को आईने में देखकर खुश हो रहा था। लेकिन जब पिताजी ने उसकी ओर देखा तो उसने शर्मा कर आईना रख दिया।
पाठ के अंत में दिखाया गया है कि भोलानाथ सांप से डरकर माता की गोद में आता है, माँ अपने बेटे की हालत देखकर दुखी होती है और उसे अपने आंचल में छिपा लेती है। इस प्रकार जबकि उसका अधिक समय पिता के साथ व्यतीत होता है विपदा के समय उसे माँ की गोद में ही शांति मिलती है।
Answer:
लेखक ने "माता का आँचल" पाठ में शैशवकाल के शेशवीय क्रिया - कलापों को रेखांकित किया है | माता का आँचल के स्नेह और मित्रों द्वारा मिल जुलकर खेले जाने वाले खेलो का वर्णन किया है |लेखक ने स्पष्ट किया है कि बच्चा पिता के साथ भले ही अधिक समय बिताए किंतु आपदाओं के समय बच्चा अपनी माँ के आँचल में ही शरण लेता है |पिता से अधिक माता की गोद प्रिय और रक्षा करने में समर्थ प्रतीत होती है |
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