माता का आंचल पाठ के आधार पर भोलानाथ और उसके पिता के संबंधों का विश्लेषण करते हुए पिता पुत्र संबंधों के महत्व पर प्रकाश डालिए
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माता का आंचल पाठ में भोलानाथ व उसके पिता के बीच अति स्नेह पूर्ण संबंध था। पिता व पुत्र का गहरा रिश्ता हिता है। " माता का आंचल " पाठ में भी इसी संबंध का महत्व दर्शाया गया है।
- अपने पिता के साथ भोलानाथ का अपार स्नेह था। भोलानाथ के पिताजी सुबह सुबह उठकर नहाकर पूजा पाठ करते थे , वे भोलानाथ को भी उठाकर , उसे नहलाकर अपने साथ पूजा में बिठाते थे।
- भोलानाथ के सिर पर लंबी लंबी जटाएं थी व भभूत लगाने के कारण उसके पुरानी उसे भोलानाथ कहते थे। वे उसे अपने कंधे पर बिठाकर गंगाजी पर लेकर जाते थे, उससे कुश्ती लड़ते थे व स्वयं जानबूझकर हार जाते थे।
- चूहे की बिल से सांप को निकलते देख जब भोलानाथ डर जाता है तब पिताजी तेजी से उसकी ओर आते है व उसे मनाने का प्रयास करते है।
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