माता का आंचल पाठ में चरित्र ग्रामीण संस्कृति और आज की ग्रामीण संस्कृति में क्या अंतर है।
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माता का आंचल पाठ में चरित्र ग्रामीण संस्कृति काफी सादी दिखाई गई है। लेखक एवं अन्य ग्रामीणों के जीवन को भी सादा दिखाया गया है और उनके दिनचर्या देखकर भी पता चलता है कि वह लोग सादगी से रहना पसंद करते थे और उनकी बहुत ज्यादा मांगे नहीं थी। वह पूजा-पाठ में विश्वास रखते थे। हम यह भी देख सकते हैं कि ग्रामीण परिवारों में माता-पिता अपने बच्चों से काफी प्रेमभाव रखते थे और बच्चे भी अपने माता-पिता के काफी करीब होते थे। वहीं जब हम इसकी आज के ग्रामीण संस्कृति से तुलना करें तो हमें पता चलेगा कि आज की ग्रामीण संस्कृति काफी आगे बढ़ चुकी है। अब ग्रामीण लोग इतने भोले नहीं माने जाते जितने पहले थे और उनके परिवार भी अब इतने छोटे और पास नहीं होते। वे लोग एक दूसरे से दूर दूर होते हैं और वहां शहरी जीवन का भी काफी असर पड़ा है। आज के ग्रामीण समाज में लोग सादगी का महत्व ही भूल चुके हैं और अपने आप को विकसित करने का निरंतर प्रयास करते रहते हैं। आखिर में आज के ग्रामीण समाज पर शहरी समाज का काफी असर पड़ चुका है और वे चरित्र ग्रामीण संस्कृति भूल चुके हैं।
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