(माता की छाती का अमृत मय पय काल-कूट हो जाए,
आँखों का पानी सूखें, वे शोणित की चूटें हो जाएँ,
एक ओर कायरता काँपे, गतानुगति विगलित हो जाए,
अंधे विचारों की वह अचल शिला विचलित हो जाए,
और दूसरी ओर कँपा देने वाला गर्जन उठ धाए,
अंतरिक्ष में एक उसी नाशक तर्जन की ध्वनि मँडराएँ,
कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए ( कविता का भावार्थ लिखो)
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Explanation:
आँखों का पानी सूखें, वे शोणित की चूटे हो जाएँ, एक ओर कायरता काँपे, गतानुगति विगलित हो जाए, अंधे मूढ़ विचारों की वह अचल शिला विचलित हो जाए, और दूसरी ओर कँपा देने वाला गर्जन उठ धाए, Page 2 अंतरिक्ष में एक उसी नाशका तर्जन की ध्वनि मँडराएँ, कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए।
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