Hindi, asked by klaxmi9949, 5 months ago

मैं तुम्हें अपने बचपन की ओर ले जाऊँगी।
मैं तुमसे कुछ इतनी बड़ी हूँ कि तुम्हारी दादी भी हो सकती हूँ, तुम्हारी नानी भी। बड़ी बुआ
भी-बड़ी मौसी भी। परिवार में मुझे सभी लोग जीजी कहकर ही पुकारते हैं।
हाँ, मैं इन दिनों कुछ बड़ा-बड़ा यानी उम्र में सयाना महसूस करने लगी हूँ। शायद इसलिए कि
पिछली शताब्दी में पैदा हुई थी। मेरे पहनने-ओढ़ने में भी काफ़ी बदलाव आए हैं। पहले मैं
रंग-बिरंगे कपड़े पहनती रही हूँ। नीला-जामुनी-ग्रे-काला-चॉकलेटी। अब मन कुछ ऐसा करता है
कि सफ़ेद पहनो। गहरे नहीं, हलके रंग। मैंने पिछले दशकों में तरह-तरह की पोशाकें पहनी हैं।
पहले फ्रॉक, फिर निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे, गरारे और अब चूड़ीदार और घेरदार कुर्ते।
बचपन के कुछ फ्रॉक तो मुझे अब तक याद हैं।
हलकी नीली और पीली धारीवाला फ्रॉक। गोल कॉलर और बाजू पर भी गोल कफ़।
एक हलके गुलाबी रंग का बारीक चुन्नटोंवाला घेरदार फ्रॉक। नीचे गुलाबी रंग की फ्रिल।
उन दिनों फ्रॉक के ऊपर की जेब में रूमाल और बालों में इतराते रंग-बिरंगे रिबन का चलन
था।
लेमन कलर का बड़े प्लेटोंवाला गर्म फ्रॉक जिसके नीचे फ़र टॅकी थी।
दो ट्यूनिक भी याद हैं। एक चॉकलेट रंग का और अंदर की कोटी प्याज़ी। दूसरा ग्रे और उसके
साथ सफ़ेद कोटी।
मुझे अपने मोज़े और स्टॉकिंग भी याद हैं!
बचपन में हमें अपने मोज़े खुद धोने पड़ते थे। वह नौकर या नौकरानी को नहीं दिए जा सकते
थे। इसकी सख्त मनाही थी​

Answers

Answered by bhumi244523
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Answered by vikas9975
0

great u r a writer..

aapne accha likha h...

thanks for share this..

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