मोती और धागे के द्वारा संत रैदास का क्या कहना चाहते हैं
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यदि भगवान मोती हैं तो भक्त धागे के समान है जिसमें मोतियाँ पिरोई जाती हैं। उसका असर ऐसा होता है जैसे सोने में सुहागा डाला गया हो अर्थात उसकी सुंदरता और भी निखर जाती है। ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै। गरीब निवाजु गुसईआ मेरा माथै छत्रु धरै।।
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कवि का कहना है कि यदि भगवान चंदन हैं तो भक्त पानी है। ... यदि भगवान मोती हैं तो भक्त धागे के समान है जिसमें मोतियाँ पिरोई जाती हैं। उसका असर ऐसा होता है जैसे सोने में सुहागा डाला गया हो अर्थात उसकी सुंदरता और भी निखर जाती है। ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै।
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