माता-पिता के साथ सुभागी का दिन कैसे गुज़रता था ?
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Answer:
बड़े परेशानी से गुजरती अपने लिए अपने लिए कमाते थे अपना पोषण के लिए माता-पिता माता-पिता अपनी ज्यादा चिंता करते
Answer:
रामू ने सजनसिंह से ढिठाई के साथ कहा कि जब एक-साथ गुजर न हो तो अलग हो जाना ही अच्छा है।
Explanation:
सुभागी रात में वृद्ध माता-पिता की सेवा करती थी, माँ के सिर में तेल लगाती तो कभी उसका शरीर सहलाती। रामू सोचता था कि सुभागी माता-पिता को तिनका नहीं उठाने देती और मुझे पीसना (काम पर लगाना) चाहती है। इसी कारण ईष्र्या से उसने कहा कि दूसरों के बल पर वाहवाही लेना आसान रहता है। अपने बल पर काम करके प्रशंसा पाना सभी के वश की बात नहीं है।
सुभागी’ कहानी मुंशी प्रेमचन्द द्वारा लिखी गई है। इसमें कहानीकार ने एक ऐसी युवती का चित्रण किया है, जो वृद्ध माता-पिता की जी-जान से सेवा करती है। रात-दिन मेहनत करके कर्जा भी चुकाती है और गाँव में सभी से पूरा स्नेह और सहयोग पाती है। उस युवती का नाम सुभागी (सुन्दर भाग्यवाली) बताया गया है।
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