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पनि
Fess) की रायामा
भवन में पहली रात (
और अति सहाना से बहुत ही कम खर्व में व्यापक प्रभा
और अगर को मारप्रसार किया जा सकता था। इसका प्रभाव प्राय
हो गया है या अनेक भारतीय भाषाओं में विभिन्न समाचारपत्र
अहिर रोने आ ए। इनमें से अधिक समाचारपत्र, जनल और पत्र
ती तो मी तथा उनके कॉलमों में सरकारी नीतियों की शो और आज
है । पर इनके माध्यम से भारतीय इस प्रकार की नीतियों के साथ
आया और उनका विरोध भी प्रकट करते थे तथा इनमें राष्ट्रवाद, किती
शासन के विवादों का प्रचार शामिल था। उस समय के कम रा
समाचारपत्र वगाल से अमल बाजार पत्रिका, इंडियन भिरर और सोम प्रकाश, अब त
मराठा, केसरी नेटिव ओपिनियन व इंदु प्रकाश, मद्रास से हिन्द, स्वदेशी मित्रन, आ
प्रकाशिका और केरल पत्रिका, उत्तर प्रदेश से एडवोकेट, हिन्दुस्तानी और आजाद, तथा
पंजाब से मिटून और कोहिनूर प्रकाशित होते थे। यहाँ तक कि जो लोग निरार हो
के कारण इन समाचारपत्रों को पढ़ने में असमर्थ थे, वे लोग किसी अन्य पढे लिखे म
को समाचारपत्रों को पढ़वा कर सुनते थे तथा देश-विदेश की घटनाओं के सम्बन्ध में ५
लाल रखते थे।
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