Hindi, asked by sanjeevtiwari347, 6 months ago

मित्र हो तो ऐसा पर निबंध ​और घटना भी बताएं

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Answered by kiranjagtap98
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मित्रता एक पवित्र वस्तु है। संसार में सब कुछ मिल सकता है, परंतु सच्चा और स्वार्थहीन मित्र मिलना अत्यंत दुर्लभ है। जिस व्यक्ति को संसार में मित्र-रत्न मिल गया, समझो उसने अपने जीवन में एक बहुत ही बड़ी निधि पा ली। मनुष्य जब संसार में जीवन-यात्रा प्रारंभ करता है तो उसे सबसे अधिक कठिनाई मित्र खोजने में ही होती है। यदि उसका स्वभाव कुछ विचित्र नहींे तो लोगों से उसका परिचय बढ़ता जाता है और कुछ दिनों मंे यह परिचय ही गहरा होकर मित्रता का रूप धारण कर लेता है।

एक सच्चा मित्र इस संसार में हमारा सबसे बड़ा आश्रय होता है। वह विपत्ति में हमारी रक्षा करता है, निराशा में उत्साह देता है, जीवन को पवित्र बनाने वाला, दोषों को दूर करने वाला और माता के समान प्यार करने वाला होता है।

मित्र के अनेक कर्तव्य होते हैं जिनमें से केवल कुछ प्रमुख कर्तव्यों पर नीचे विचार किया जाएगा। एक सच्चा मित्र सदैव अपने साथी को सन्मार्ग पर चलने के प्रेरणा देता है। वह कभी नहीं देख सकता कि उसकी आँखों के सामने ही उसके मित्र का घर बर्बाद होता रहे, उसका साथी पतन के पथ पर अग्रसर होता रहे, कुवासनाएँ और दुव्र्यसन उसे अपना शिकार बनाते रहें, कुरीतियाँ उसका शोषण करती रहे, कुविचार उसे कुमार्गागामी बनाते रहें। वह उसे समझा-बुझाकर, लाड़-प्यार से और फिर, मार से किसी न किसी तरह उसे कुमार्ग को छोड़ने के लिये विवश कर देगा। तुलसीदास ने मित्र की जहाँ और पहचान बताई है वहाँ एक यह भी हैः

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