मित्र हमारे लिए अनमोल क्यों होता है?
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महाकवि रामधारी सिंह दिनकर की 'रश्मि रथी' की उक्त पंक्तियों में दानवीर कर्ण मित्रता को रक्त के रिश्ते से बड़ा बताते हैं। जिसे धन दौलत से भी नहीं तौला जा सकता। भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में मित्रता को अत्यधिक महत्व दिया गया है। पश्चिमी देशों में फ्रेंडशिप डे मनाने की परंपरा तो अभी कुछ दशक पुरानी है, परन्तु हमारे यहां हर युग में दोस्ती की एक कहानी है। वीकेएसयू के हिन्दी के विभागाध्यक्ष रहे डा. नंद किशोर तिवारी कहते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सुग्रीव से मिताई हो या लीला पुरुष कृष्ण की सुदामा से, ये दोनों मित्रता के प्रतिमान हैं। जिससे लोग आज भी प्रेरित होते हैं।
जिन मित्र दुख होही दुखारी, तीनही विलोकत पातक भारी'। तुलसी दास के रामचरित मानस में भगवान राम कहते हैं कि जो अपने मित्र के दुख में दुखी नहीं होता वैसे व्यक्ति को देखना भी पाप का भागी बनना है। प्राण देकर भी मित्र की रक्षा करनी चाहिए। मित्र के लिए राम बाली जैसे वीर से बैर लेते हैं। यही नहीं राम कहते हैं 'अस कुमित्र परीहरी सुखारी'। अर्थात कुमित्र का त्याग ही कर देने में सुख है।
नैन के जल से पग धोयपानी परात के हाथ छुओ नहि, नैन के जल सो पग धोय'। नरोत्तम दास 'सुदामा चरित' में कहते हैं कि कृष्ण के दरबार में पहुंचे सुदामा के पग मित्र कृष्ण आंसुओं से ही धो देते हैं। कृष्ण कहते हैं कि मित्र कष्ट में है तो राज-पाट भी बेकार है। आलोचक बताते हैं कि कृष्ण-सुदामा की मित्रता आर्थिक, जाति, सामाजिक स्तरीकरण सभी पर भारी है।
60 साल से जारी मित्रता
मित्रता की मिसाल समाज में अब भी देखने को मिलती हैं। अर्थशास्त्र के सेवानिवृत्त प्रो. रामजी सहाय कहते हैं कि फ्रेंडशिप डे तो बाजारवाद का शगुफा है मित्रता कि नहीं जाती हो जाती है। बताते हैं कि रामरूप दास से तीसरी कक्षा से हुई दोस्ती आज तक कायम है। हर दुख-दर्द के साथी हैं। अधिवक्ता सीताराम गुप्ता कहते हैं कि कालेज के दिनों से वंशीधर चौबे से भी मित्रता हुई वह आज तक 50 वर्ष बाद भी कायम है।इंसेट
मित्रता आवाज की मोहताज नहीं
मूक बधिर मनाएंगे फ्रेंडशिप डे
निज संवाददाता, सासाराम : मित्रता आवाज व संवाद की मोहताज नहीं है। यह कहना है मूक बधिर युवकों का जो फ्रेंडशिप डे सेलिब्रेट करने की तैयारी में हैं। स्थानीय मूक बधिर ऐंजल स्कूल के संचालक आलोक कुमार कहते हैं कि वाराणसी में मूक बधिर स्कूल में पढ़ने के दौरान जो छात्र मित्र बने उनसे मित्रता आज तक कायम है। रवि कुमार (औरंगाबाद) के साथ तो रोज मिलना-जुलना होता है तथा हम मिलकर स्कूल चलाते हैं। मुन्ना कुमार (वाराणसी), रंधीर कुमार, राकेश सिंह (दोनों गया), चंदन कुमार (चेनारी), सब मूक बधिर हैं परन्तु मित्रता इतनी है कि पत्र के माध्यम से संपर्क में रहते हैं। सुख-दुख के साथी हैं। सबने मिलकर फ्रेंडशिप डे मनाने का निर्णय लिया है। एक जगह जुट सेलिब्रेट करेंगे।
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Isliye Mitra Hamare liye Anmol hai.