मित्र हमारे लिए मार्गदर्शक पर अनुच्छेद
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सच्चामित्र हमारे लिए प्रेरणा देने वाला, सहायक और मार्गदर्शक बनकर हमें जीवन की सही राह की ओर ले जाने वाला होता है। निराशा के क्षणों में सच्चा मित्र हमारी हिम्मत बढ़ाने वाला होता है। जब हम निरुत्साहित होते हैं तब वह हमारी हिम्मत बढ़ाता है।
यह विचार श्री राधा गोपाल मंदिर पंजपीर में आयोजित भागवत कथा में कथा व्यास भागवत शरण रविनंदन शास्त्री वृंदावन वालों ने व्यक्त किए। उन्होंने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि श्री कृष्ण और सुदामा की दोस्ती का उदाहरण दिया जाता है। जिसका कारण उनकी दोस्ती में कोई स्वार्थ नहीं था। उन्होंने सच्चे मित्र की परिभाषा देते हुए कहा कि सच्चा मित्र वही है जो मित्र दुख में काम आता आता है।
उन्होंने कहा, वह मित्र के बहुत छोटे से छोटे कष्ट को भी मेरु पर्वत के सामान भारी मानकर उसकी सहायता करता है। मित्र सुख-दुख का साथी है। वह केवल दुख में ही नहीं सुख में भी खुशियां बांटता है। मित्र के होने से हमारे सुख के क्षण उल्लास से भर जाते हैं। जब हम शिथिल होते हैं तब वह प्रेरणा देता है। जब हम विचलित होते हैं तब वह हमारा मार्गदर्शन करता है।
सच्चा मित्र हमारे लिए शक्तिवर्धक औषधि का है, जब हम शारीरिक रूप से कमजोर महसूस करते हैं। सच्चा मित्र हमें पथभ्रष्ट होने से बचाता है और सत्यमार्ग की ओर ले जाता है। सचमुच सच्ची मित्रता एक वरदान है जो हर किसी को नहीं मिलती। यहां आकाश भाटिया, राजेश आनंद, रतन लाल शर्मा, प्रवेश खुल्लर, हरीश खुल्लर, शिक्षक ठाकुर, शशि शर्मा, गोविंद लाल मुंजाल, हर्ष सहगल, सुरेंद्र राजपाल, नवल कंबोज, राजेश आनंद, हनी भंडारी, गुरुचरण कपूर, हर्ष महेंद्रू, अमित शर्मा, लकी चंचल, गौतम मल्होत्रा, गौरव, सनी छाबड़ा, देवेंद्र कोहली, गुलशन भंडारी, देवी दयाल, चेतन दास, शैलेंद्र पांडे, बब्बी कपूर, पंकज भाई, बाबा खन्ना, मुकुल भाई, त्रिभुवन शाह, और दिनेश जग्गी मौजूद रहे।
जालंधर |श्री राधा गोपाल मंदिर पंजपीर में आयोजित भागवत कथा में सुदामा चरित्र का वर्णन किया गया।
मित्रता कभी स्वार्थ भाव से नहीं होती। वह निस्वार्थ होती है। स्वार्थ से की गई मित्रता सौदा है। जो ज्यादा दिन नहीं चलता। श्री कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को तीन मुट्ठी चावल के बदलें तीनों लोको का सुख प्रदान कर दिया और उनको बताया तक नहीं। इसीलिए उनकी मित्रता की मिसाल दी जाती है।
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