मात्रिक छंद में किस की गणना की जाती है
Answers
➲ मात्रिक छंद में ‘मात्राओं’ की गणना की जाती है।
व्याख्या ⦂
✎... मात्रिक छंद से तात्पर्य उस छंद से होता है, जिस में मात्राओं की गणना समान होती है। ऐसे छंद का की रचना मात्रा की गणना के आधार पर ही की जाती है। मात्रिक छंद के सभी चरणों में मात्राओं की संख्या एक समान रहती है। मात्रिक छंद के चार प्रमुख भेद में से एक भेद है। मात्रिक छंद तीन प्रकार के होते हैं...
- सममात्रिक छंद
- अर्ध-सममात्रिक छंद
- विषम मात्रिक छंद
सम मात्रिक छंद ⦂ इस छंद के सभी चरणों में मात्राओं की संख्या समान होती है। जैसे चौपाई, रोला, हरिगीतिका आदि।
अर्ध-सममात्रिक छंद ⦂ अर्द्ध-सममात्रिक छंद के पहले और तीसरे चरण तथा दूसरे और चौथे चरण के मात्राओं की संख्या समान होती है। जैसे दोहा, सोरठा, बरवै, उल्लाला आदि।
विषम मात्रिक छंद ⦂ इसके चरणों में बहुत अधिक समानता नही होती है, इसलिए यह विषम मात्रिक छंद कहलाता है, जैसे कुंडलिया, छप्पय आदि।
छंद के चार भेद होते हैं...
- वर्णिक छंद
- मात्रिक छंद
- वार्णिक वृत्त छंद
- मुक्त छंद
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