मात्रा की दृष्टि से स्वर के कितने प्रकार है?
Answers
मात्रा की दृष्टि से स्वर तीन प्रकार के होते है।
ह्रस्व स्वर, दीर्घ स्वर तथा प्लुत स्वर ।
- स्वर : जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता से किया जा सकता है उन्हें स्वर कहते है।
- ह्रस्व स्वर : जिन स्वरों के उच्चारण में अन्य स्वरों कि अपेक्षा कम समय लगता है वे ह्रस्व स्वर कहलाते है। ह्रस्व स्वर संख्या में चार होते है अ , इ, उ तथा ऋ। उन स्वरों का उच्चारण करने में एक मात्र का समय लगता है।
- दीर्घ स्वर : जिन स्वरों के उच्चारण करने में ह्रस्व स्वर की अपेक्षा अधिक समय लगता है वे दीर्घ स्वर कहलाते है। दीर्घ स्वर संख्या ने सात होते है : अा, ई, ए, ऐ , ओ तथा औे । इन स्वरों ये उच्चारण ने एक मात्रा का दो गुना समय लगता है।
- प्लुत स्वर : इन स्वरों ये उच्चारण ने दीर्घ स्वरों के उच्चारण से भी अधिक समय लगता है , इन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वर से तीन गुना समय लगता है। अतः इन्हे प्लुत स्वर कहते है। जैसे ॐ = अ + ओ + म्
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स्वतन्त्र रूप से बोले जाने वाले अक्षर स्वर कहलाते हैं। अर्थात वे अक्षर जो बिना किसी अन्य अक्षर की सहायता के बोले जाते हैं स्वर कहलाते हैं। परंपरागत रूप से स्वरों की संख्या 13 होती है, लेकिन उच्चारण के आधार पर 10 स्वर, 1 अर्ध स्वर और 2 अनुस्वर होते हैं, जिनमें स्वर के साथ-साथ अर्ध स्वर भी गिना जाता है और अनुस्वार को स्वरों की श्रेणी से बाहर रखा जाता है।
हिंदी वर्णमाला के स्वर
स्वर-ए, आ, ई, ई, यू, ऊ, ए, ए, ओ, औ (10)
आधा स्वर-आर (1)
उत्तर-अन, ए: (2)
उच्चारण की दृष्टि से स्वर तीन प्रकार के होते हैं - लघु स्वर, दीर्घ स्वर और प्लुत स्वर।
हृस्व स्वर
सबसे कम समय (मात्रा का) में बोले जाने वाले स्वर को हृस्व स्वर कहते हैं। जैसे अ, इ, उ
दीर्घ स्वर
जिन स्वरों के उच्चारण में अधिक समय (दो मात्रा में) लगता है, दीर्घ स्वर कहलाते हैं। उदा. एए, ई, ऊ, ए, एई, ओ, औ
प्लूट स्वर
जिस स्वर के उच्चारण में दीर्घ स्वर से अधिक समय (तीन मात्रा) लगता है, उसे प्लूट स्वर कहते हैं। इसका उपयोग किसी को कॉल करने या बातचीत में करने के लिए किया जाता है। जैसे- रा -ऽ मैं, उम।
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