मंत्रिमंडल के गठन एवं उसकी शक्तियों की विवेचना कीजिए।
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Answer:
मंत्री मंडल के गठन की एवं उसकी शक्ति का वर्णन इस प्रकार है...
प्रधानमंत्री की नियुक्ति — भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है तथा प्रधानमंत्री के परामर्श पर मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों की नियुक्ति करता है।
प्रधानमंत्री द्वारा मंत्रियों का चयन — प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमंडल के मंत्रियों का चयन करता है कि किस को मंत्री बनाया जाए और किसको क्या विभाग दिया जाए, फिर प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को इस संबंध में परामर्श देता है और राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के परामर्श को मारने के लिए बाध्य है।
मंत्रियों की श्रेणियां — केंद्रीय मंत्रिमंडल के मंत्रियों की तीन श्रेणियां होती हैं। कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और उप मंत्री। पूरी मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति को उसके कार्यों के संपादन में सहायता और परामर्श देती है लेकिन संसदीय शासन प्रणाली के व्यवहार में केंद्रीय मंत्रिमंडल ही भारतीय शासन की सर्वोच्च इकाई है और उसके द्वारा ही पूरी शासन व्यवस्था का संचालन होता है।
राष्ट्रीय नीति निर्धारण करना — मंत्रिमंडल का महत्व राष्ट्र के संबंध में नीतियों का निर्धारण करना है। मंत्रिमंडल यह सुनिश्चित करता है कि आंतरिक क्षेत्र में प्रशासन के विभिन्न विभागों द्वारा देश में किस तरह कार्य किए जाएं और दूसरे देशों के साथ किस तरह की संबंध की नीति अपनाई जाए।
कानून निर्माण — मंत्रिमंडल का कार्य कानूनों के निर्माण का भी है। मंत्रिमंडल द्वारा नीति निर्धारित करने के बाद कानून के निर्माण का कार्यक्रम सुनिश्चित किया जाता है और मंत्रिमंडल के सदस्य गहन विचार-विमर्श के बाद जरूरी विधेयक सदन में प्रस्तुत करते हैं।
कार्यपालिका पर नियंत्रण — संवैधानिक रूप से तो संघीय सरकार की समस्त कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति के हाथों में है, लेकिन व्यवहारिक रूप से यह सारी शक्ति मंत्रिमंडल के द्वारा उपयोग की जाती है। अतः मंत्रिमंडल ही कार्यपालिका की वास्तविक शक्ति होती है।
वित्तीय कार्य — मंत्रिमंडल ही निर्धारित नीति के आधार पर देश का बजट तैयार करता है और उसे लोकसभा में प्रस्तुत करता है। जिसे वित्त मंत्री पेश करता है।
Explanation:
मंत्रिमंडल की कुछ महत्वपूर्ण शक्तियां और कार्य निम्न प्रकार है - मंत्रिमंडल का सबसे अधिक महत्वपूर्ण कार्य राष्ट्रीय नीति निर्धारित करना है। मंत्रिमंडल यह निश्चित करता है कि आंतरिक क्षेत्र में प्रशासन के विभिन्न विभागों द्वारा और वैदेशिक क्षेत्र में दूसरे देशों के साथ संबंध के विषय में किस प्रकार की नीति अपनायी जायेगी।