मैत्री मे सहजा प्रकृतिरस्ति, नो दुर्बलतायाः पर्यायः।
मित्रस्य चक्षुषा संसार, पश्यन्ती भारतजनताऽहम्॥
शब्दार्थ : मैत्री-मित्रता। मे-मेरी। सहजा-सामान्य। नः (न)-नहीं। दुर्बलतायाः-कमजोरी का।। पर्यायः-पर्यायवाची (दूसरा नाम)। मित्रस्य-मित्र की। चक्षुषा-आँखों से। संसाराम्-संसार को। पश्यन्ती-देखती हुई (देखने वाली)। अहम्-मैं।
सरलार्थ:-मित्रता मेरी सामान्य आदत (स्वभाव) है, यह मेरी दुर्बलता (कमज़ोरी) का पर्याय नहीं है। मैं मित्र की दृष्टि से संसार को देखती हुई भारत की जानता हूँ।
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घटक के लिए बधाई स्वीकारें में एक अ आ रही हैं और इस ।
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