Hindi, asked by Ritanshu2007, 1 month ago

'मंत्र न लागै कोई' से क्या तात्पर्य है?

Answers

Answered by student12981
0

Answer:

i can't jskskd

Explanation:

understand fds

Answered by Anonymous
1

बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागै कोइ।

इस पंक्ति का भाव है कि विरह (जुदाई, पृथकता, अलगाव) एक सर्प के समान है, जो शरीर में बसता है और शरीर का क्षय करता है। इस विरह रूपी सर्प पर किसी भी मंत्र का प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि यह विरह ईश्वर को न पाने के कारण सताता है। जब अपने प्रिय ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है, तो वह विरह रूपी सर्प शांत हो जाता है, समाप्त हो जाता है अर्थात् ईश्वर की प्राप्ति ही इसका स्थायी समाधान है।

मंत्र न लागै कोई- किसी भी मंत्र का प्रभाव नहीं पड़ता है

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