मित्रेण शब्द के साथ क्रिया मध्यम पुरुष एकवचन में प्रयोग होगी ।
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जिस व्यक्ति से हम बात कर रहे हैं, वह मध्यम परुुष होता है| ‘त्वम ्’, ‘यवुाम’ ् और ‘ययू म’ ् मध्यम परुुष के कताा हैं|मध्यम परुुष के
कताा का प्रयोग स्त्रीललगिं और पजु्लिंग दोनों के ललए ककया िाता है| लङ् लकार मध्यम परुुष के प्रत्यय क्रमशः इस प्रकार हैं|
एकिचन द्वििचन बहुिचन
अ + धातु+ अः अ + धातु+ अतम ् अ+ धातु+ अत
अ + पठ् + अः = अपठः अ+ पठ् + अतम ् = अपठतम ् अ+ पठ् +अत = अपठत
त्वम ् अपठः| यवुाम ् अपठतम ् | ययू म ्अपठत|
(तुमने पढ़ा|) (तुम दोनों ने पढ़ा|) (तमु सबने पढ़ा|)
मध्यम पुरुष कताा के साथ ‘लङ् लकार’ का प्रयोग –
एकिचन द्वििचन बहुिचन
त्वम ्लेखम ् अललखः| यवुाम ् लेखम ् अललखतम ्| ययू म ्लेखम ्अललखत|
त्वम ् िले अतरः| यवुाम ्िले अतरतम|् ययू म ्िले अतरत|
त्वम ् ननधानाय वस्त्राणि अयच्छः| यवुाम ्देवालये ईश्वरस्य वन्दनाम ्अकुरुतम|् ययू म ्समयस्य सदपुयोगम ्अकुरुत|
त्वम ् प्रनतयोगगतायािं गीतम ् अगायः| यवुाम ्कक्षायािं तष्ूिीम ्अनतष्ठतम|् ययू म ्परीक्षायािं सफलाः अभवत|
त्वम ्पपतामहेन सह अक्रीडः| यवुाम ्पररवारेि सह गित्रागारम ्अगच्छतम|् ययू म ्गित्रकला-प्रनतयोगगताम ् अपश्यत|
ह्यः तव पवद्यालये गित्रकला – प्रनतयोगगता आसीत्| त्वम ् अपप प्रनतभागी आसीः परिं त्वम ् प्रनतयोगगतायािं पवलम्बेन सजम्मललतः अभवः
यतः त्वम ् मागे एकम ् लभक्षुकम ् अपश्यः| लभक्षुकः बभु ुक्षक्षतः आसीत|् तस्य वस्त्राणि िीिाानन आसन ्|