मित्र और शत्रु के अनादर होने पर क्या करना चाहिए?
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आचार्य की नीति है कि अपने शत्रु से कभी घृणा मत करो। शत्रु से घृणा करने पर आप उसके बारे में सोचने-समझने की शक्ति खो देते हैं आप उसकी केवल कमजोरी देख पाते हैं ताकत नहीं। इसलिए शत्रु को एक मित्र की तरह देखें और उसकी हर छोटी बड़ी बातों की खबर रखें ताकि युद्ध के हालात में शत्रु के बचकर निकलने की कोई राह ना हो।
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आचार्य की नीति है कि अपने शत्रु से कभी घृणा मत करो। शत्रु से घृणा करने पर आप उसके बारे में सोचने-समझने की शक्ति खो देते हैं आप उसकी केवल कमजोरी देख पाते हैं ताकत नहीं। इसलिए शत्रु को एक मित्र की तरह देखें और उसकी हर छोटी बड़ी बातों की खबर रखें ताकि युद्ध के हालात में शत्रु के बचकर निकलने की कोई राह ना हो।
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