Hindi, asked by kushagrakohli2000, 8 months ago

"मित्र से संलाप' (मृणाल पांडे) रचना का मूल प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।​

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Answered by bhatiamona
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मित्र से संलाप' (मृणाल पांडे) रचना का मूल प्रतिपाद्य

मित्र से संलाप' रचना मृणाल पांडे द्वारा लिखी गई है|

मित्र से संलाप में लेखिका ने नारी वर्ग और उनके अधिकारों के बारे में अपने मित्र से बाते की है| लेखिका ने महिलाओं से नारी वर्ग ही नहीं बल्कि पूरे समाज में बड़ी उम्मीद है| लेखिका का पुरुष मित्र समय-समय पर नारी और नारीवाद विषयों में टिप्पणियाँ करता रहता है| भारतीय परिवार में नारी की स्थिति सदा से दबी हुई है नारी मुक्ति संबंधी आंदोलन पश्चिम से आरंभ हुआ , इसलिए नारीवाद पश्चिम से भारत में आया था|  

भारत में नारी पर काम करने वाले नारीवाद और नारी संगठन एक ही तरह के नहीं होते है कुछ सही होते है और कुछ गलत है कुछ नारीवाद मिडिया से मदद से प्रचार में लगे हुए है तो कुछ नारी संगठन नारेबाजी कर अपने दर्ज कर अपना कर्तव्य पूरा समझ लेते है|

कुछ लोग नारीवाद के नाम पर स्वार्थ में लग जाते है इसका अर्थ नहीं है की सब कुछ गलत हो रहा है अनेक नारीवादी और नारी संगठन विकास योजना , सामाजिक कुरीतियाँ , साम्प्रदायिकता और भ्रष्टाचार , राजनीति में नारियों की उपेक्षा की जाती है| लेखिका चाहती है कि नारीवादी स्त्रियों और पुरुषों के विषय के बीच में जो विवाद चल रहा उसे खत्म करना चाहिए और नारियों को आगे बढ़ने देना चाहिए| नारियों को आगे सभी अधिकार मिलनी चाहिए| नारी शिक्षा , सामाजिक न्याय , सहभागिता आदि के क्षेत्रों में कार्य करने चाहिए|

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