Hindi, asked by venusdemor6911, 2 days ago

मित्रक दुख रज मेरु समाना निबंध

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Answered by rajni6944
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मित्रक दु:ख राज मेरु समाना॥ रामचरितमानस की यह चौपाई कहती है कि जो मनुष्य अपने मित्र के कष्ट को अपना कष्ट या दुख नहीं समझता है, ऐसे लोगों को देखने मात्र से पाप लगता है। ... रामचरितमानस के अनुसार, जो लोग स्वाभाव से कम बुद्धि के होते हैं, मूर्ख होते हैं ऐसे लोगों को आगे बढ़कर कभी किसी के साथ मित्रता नहीं करनी चाहिए।

Answered by amanrajpoot36
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mitral dukh rj meri samana nibhand

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