मित्रता पर कहानी २५० शब्द में
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कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति। बिपति-कसौटी जे कसे, सोई सांचे मीत।” सुविख्यात कवि रहिमदास द्वारा रचित यह दोहा हम सब ने अपने किताबों में पढ़ा है। इस दोहे के माध्यम से कवि हम से कहता है, जब व्यक्ति के पास संपत्ति होता है तब उसके अनेक सगे-संबंधी तथा मित्र बनते हैं, उसके समीप आते हैं, पर विपत्ती के समय में जो आपका साथ दे, वहीं सच्चा मित्र है।
दोस्ती पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Friendship in Hindi)
निबंध – 1 (300 शब्द)
परिचय
व्यक्ति को प्रत्येक रिश्ता अपने जन्म से ही प्राप्त होता है, अन्य शब्दों में कहें तो ईश्वर पहले से बना के देता है, पर दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है जिसका चुनाव व्यक्ति स्वयं करता है। सच्ची मित्रता रंग-रूप नहीं देखता, जात-पात नहीं देखता, ऊँच-नीच, अमीरी-गरीबी तथा इसी प्रकार के किसी भी भेद-भाव का खंडन करती है। आमतौर पर यह समझा जाता है, मित्रता हम-उम्र के मध्य होती है पर यह गलत है मित्रता किसी भी उर्म में और किसी के साथ भी हो सकती है।
व्यक्ति के जीवन में मित्रता (दोस्ती) का महत्व
व्यक्ति के जन्म के बाद से वह अपनों के मध्य रहता हैं, खेलता हैं, उनसें सीखता हैं पर हर बात व्यक्ति हर किसी से साझा नहीं कर सकता। व्यक्ति का सच्चा मित्र ही उसके प्रत्येक राज़ को जानता है। पुस्तक ज्ञान की कुंजी है, तो एक सच्चा मित्र पूरा पुस्तकालय, जो हमें समय-समय पर जीवन के कठिनाईयों से लड़ने में सहायता प्रदान करते है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण में दोस्तों की मुख्य भुमिका होती है। ऐसा कहा जाता है की व्यक्ति स्वयं जैसा होता है वह अपने जीवन में दोस्त भी वैसा ही चुनता है। और व्यक्ति से कुछ गलत होता है तो समाज उसके दोस्तों को भी समान रूप से उस गलती का भागीदार समझते हैं।