माता शत्रु पिता वैरी, येन बालो न पाठितः ।
न शोभते सभामध्ये, हंसमध्ये बको यथा॥
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वह माता-पिता शत्रु के समान हैं जो अपने बालकों को शिक्षा प्रदान नहीं करते हैं।
विद्वानों की सभा में अनपढ़ शोभा नहीं देते। यह ऐसा ही है जैसे हंसो की सभा में बगुले होते हैं।
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