मैं तें तोरि मोरि असमझ सों, कैसे करि निसतारा।
कहै 'रैदास' कृस्न करुणांमैं, जै जै जगत अधारा।।
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संत रैदास संत कबीर एवं तुलसीदास के गुरु हैं। ... यह कथन बिल्कुल सत्य है कि रैदास जी के दोहे ने सामाजिक भेदभाव को बहुत हद तक दूर किया है। वह जाति-धर्म में भेद नहीं करते थे। वे सभी मनुष्यों को एक समान समझते थे।Jul
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