Hindi, asked by avisheksingh090908, 1 month ago

मातृ दिवस के अवसर पर अपनी मां के नाम एक पत्र लिखिए ​

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Answered by moryarajendra166
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Answer:

मेरी प्यारी मां,

वैसे तो मैं पेशे से एक लेखिका/पत्रकार हूं, लेकिन आपके बारे में आज तक मैंने कभी कुछ नहीं लिखा। सबसे पहले मैं आपको इस बात के लिए थैंक्यू कहूंगी कि आपने मुझे सिखाया कि मैं खुद पर हमेशा विश्वास रखूं। मुझे जीने का सलीका सिखाया। आज जो बातें मैं आपको बताने जा रही हूं वो आपके सामने शायद ही कभी व्यक्त कर सकूं क्योंकि आप जानती हैं कि मैं अपनी फीलिंग्स को बयां नहीं कर पाती हूं। मैं सामने बैठकर यह सब नहीं बोल सकती या शायद मुझमें वो हिम्मत ही नहीं है, इसलिए मैं शब्दों के माध्यम से मन के विचार आपके सामने रखने की कोशिश कर रही हूं।

आज बहुत सारी बचपन की यादें ताजा हो रही हैं। आज भी मुझे याद है आप जब हमेशा पुराना लंच बॉक्स और रुमाल देकर स्कूल भेजती थीं। घर में जो भी चीज नई आती थी वो हमेशा भाई-बहन को दिया करती थीं। मैं मन ही मन काफी परेशान होती थी आपका ऐसा बर्ताव देखकर। मुझे लगने लगा था कि मैं आपकी सौतेली औलाद हूं, इसलिए आप मेरे साथ ऐसा करती हो। एक दिन मैंने अपनी क्लास टीचर को रो-रोकर जब अपने मन की यह बात सुनाई तो उन्होंने यह बात आपसे डिस्कस करने के लिए आपको स्कूल बुलाया और बताया कि मैं कितना परेशान रहती हूं। तब आपने मुझे प्यार से बताया कि मैं हर चीज को खोकर आती थी और लापरवाह थी, इसलिए आप मेरे साथ ऐसा करती थी। उस दिन मुझे अपनी गलती का बहुत पछतावा हुआ।

परीक्षा मेरी होती थी और रातभर आप जागती थीं। पेपर देने मैं जाती थी और टेंशन आपको सताती थी। रात-रात भर मेरे साथ सिर्फ इसलिए जागना क्योंकि अकेले रात को मैं डरा करती थी। फिर सुबह जल्दी उठकर आप घर के कामों में लग जाया करती थीं।

अरे हां, आपको याद है जब एक बार आप काफी बीमार थी और मैंने पहली बार रोटी बनाई थी। डब्बे के ढक्कन से गोल काटकर। भले ही वो कच्ची-पक्की रोटी थी, लेकिन आपने कहा था कि तू तो मुझसे भी अच्छी रोटी बनाती है। यह सुन मैंने भी सच मान लिया था और मैं खुश होकर नाचने लग गई थी। आप ऐसे ही हमेशा मेरी गलतियां छुपाती आई हो न मुझे खुश देखने के लिए!

आप कभी अपने हक के लिए नहीं बोलीं। हमेशा सबकी चुपचाप सुनती रहीं, पर बात जब हम बच्चों की आई तो आप सबसे लड़ीं। हमेशा चुपचाप सबकी सुनने वाली मां के गले में आवाज आती देख मैं हैरान रह गई थी। जब सभी अपनी बेटियों को सलवार-कमीज दिलाते थे, तुमने मुझे स्कर्ट पहनाई। मेरी शादी को लेकर जिस किसी ने भी आवाज उठाई आपने उनका मुंह बंद कर दिया और कहा कि तुम अच्छे से जॉब करो। अपने करियर पर ध्यान दो। मेरे बाहर रहने पर भी इस समाज ने सवाल उठाए, तुमने उनका जवाब अकेले दिया। मेरी हर खुशी के लिए तुम लड़ीं।

आज भी मेरी शक्ल देख पहचान जाती हो कि मैं खुश हूं या नहीं। मैं जितना कोशिश कर लूं कि आपको मालूम न हो, लेकिन आप सब पढ़ ही लेती हो। पिछले काफी समय से मैं बहुत परेशान थी, लेकिन जब आपने मुझसे कहा आप हर हाल में मेरे साथ हैं। आपकी इस बात का मुझ पर इस कदर असर पड़ा मानों सपनों की उड़ान भरने के लिए मेरे पंख निकल आए हों।

थैंक्यू सो मच मम्मी मुझे हमेशा समझने और स्पोर्ट करने के लिए। मैं गलत थी जो सोचा करती थी कि आप मुझे नहीं समझ सकती। मेरे दोस्त मुझे ज्यादा अच्छा समझ सकते हैं। मैं कभी यह समझ ही नहीं पाई थी कि आपने हमेशा हमारे साथ मां से बढ़कर दोस्ती का रिश्ता निभाया है। आपने हमेशा मेरे गुस्से को दरकिनार को उसमें अपने ममता के रंग भरे हैं। मैं जितनी बदतमीजी करती आपने मुझे उतना ही बढ़कर प्यार दिया। सॉरी मम्मा मेरी हर गलती के लिए।

आपकी यह बात मैं हमेशा याद रखती हूं कि बुराइयां हम सभी में होती हैं, लेकिन दूसरों की अच्छाइयों को अनदेखा मत करो। आपने मुझे बताया सब बराबर होते हैं। हमेशा इंसानियत का रिश्ता निभाने के लिए समझाया। मेरे जहन में आज भी यह बात है जब एक बार मैं कुछ बुरा बोल रही थी तो आपने कहा था कभी कुछ अच्छा नहीं बोल सकते तो बुरा भी मत बोलो। बेहतर होगा चुप रहो। आपने हमेशा मुझे सब्र रखना सिखाया। आज लोग मुझसे पूछते हैं तुझमे कैसे इतनी बर्दाश्त और सब्र है। यह सिर्फ आपकी वजह से मां। आप हमेशा दूसरे की मदद के लिए तत्पर रहती हैं। हर किसी को प्यार देती हैं। यहीं सारी चीजें आपने हमें भी सिखाई। आपने मुझे एक बेहतर इंसान बनाया।

मेरे दोस्तों ने जब कभी मुझे आपसे बात करते देखा है तो फोन रखने के बाद उनका पहला सवाल यही होता है कि क्या तू वाकई अपनी मां से ही बात कर रही थी। वह हैरान रह जाते हैं यह देख कि हम मां बेटी जैसे नहीं बहनों की तरह बात करते हैं। सच कहूं तो लिखती रही तो मुझे नहीं लगता यह पत्र आज पूरा होने वाला है, क्योंकि मन में एक के बाद एक आपकी बात आ रही है। अंत में बस यही कहूंगी आपके द्वारा सिखाई गई हर बात मैं हमेशा याद रखूंगी। आपके जैसी तो मैं कभी नहीं बन सकती, लेकिन कोशिश करती रही हूं और हमेशा करती रहूंगी।

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