माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है?
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माटी वाली का रोटियों का हिसाब लगाना उसकी गरीबी, फटेहाली और आवश्यकता की मजबूरी को प्रकट करता है। माटीवाली दिनभर के अथक परिश्रम के बाद भी इतना नहीं कमा पाती थी कि जिससे वह अपना तथा अपने बूढ़े बीमार पति का पेट भर सकें। इस प्रकार की मजदूरी से उसका जीवन-निर्वाह तक कठिन हो जाता है।
Please thanks pandey ji
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माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है? उत्तर: माटी वाली किसी तरह से बस इतना ही कमा पाती है जिसमें उसके और उसके बूढ़े और लाचार पति का गुजारा हो सके। इसलिए वह हर संसाधन का समुचित इस्तेमाल करना जानती है। उसके पात इतने पैसे नहीं होते हैं कि घर में ठीक से भोजन भी पका सके।
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