माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है ?
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माटी वाली का रोटियों का हिसाब लगाना उसकी गरीबी, फटेहाली और आवश्यकता की मजबूरी को प्रकट करता है। माटीवाली दिनभर के अथक परिश्रम के बाद भी इतना नहीं कमा पाती थी कि जिससे वह अपना तथा अपने बूढ़े बीमार पति का पेट भर सकें। इस प्रकार की मजदूरी से उसका जीवन-निर्वाह तक कठिन हो जाता है।
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माटी वाली का रोटियों का हिसाब लगाना उसकी गरीबी, फटेहाली और आवश्यकता की मजबूरी को प्रकट करता है। माटीवाली दिनभर के अथक परिश्रम के बाद भी इतना नहीं कमा पाती थी कि जिससे वह अपना तथा अपने बूढ़े बीमार पति का पेट भर सकें। इस प्रकार की मजदूरी से उसका जीवन-निर्वाह तक कठिन हो जाता है |
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