Hindi, asked by rohitdhawale4705, 11 months ago

मातृवत् परदारेषु, परद्रव्येषु लोष्ठवत्।आत्मवत् सर्वभूतेषु, यः पश्यति सः पण्डितःldefine meaning :​

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Answered by bhatiamona
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मातृवत् परदारेषु, परद्रव्येषु लोष्ठवत्।

आत्मवत् सर्वभूतेषु, यः पश्यति सः पण्डितः

अर्थ : सदैव दूसरे की पत्नी को अपनी माँ की तरह समझना चाहिए। सदैव दूसरे के धन को मिट्टी के समान समझना चाहिए और सभी को अपने जैसा ही समझना चाहिए। जो ऐसा आचरण करता है, वही सच्चा पंडित यानि ज्ञानी है।

व्याख्या :

कहने का तात्पर्य यह है कि पराई स्त्री पर कभी भी गलत नजर नहीं डालनी चाहिए और उसका अपनी माँ की तरह सम्मान करना चाहिए। दूसरे के धन संपत्ति पर भी कभी गलत दृष्टि नहीं डालनी चाहिए और उसे मिट्टी के समान समझना चाहिए। अपने परिश्रम से अर्जित की हुई धन-संपत्ति को ही अपनी संपत्ति समझना चाहिए। सभी के साथ एक समान व्यवहार करना चाहिए। सब के अंदर स्वयं की छवि देखना चाहिए। ऐसा आचरण करने वाला मनुष्य ही वास्तव मे विद्वान होता है।

Answered by Aʙʜɪɪ69
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Explanation:

अर्थात जिसकी दृष्टि में पराई नारियां माता के समान हैं, पराया धन मिट्टी के ढेले के समान है और सभी प्राणी अपने ही समान हैं, वही ज्ञानी है। ज्ञान की यह दृष्टि जब प्रसार पाती है तो अपराध थम जाता है। पराई स्त्री में माता का दर्शन करने वाले पौराणिक पात्र अर्जुन और ऐतिहासिक नायक शिवाजी के समान उच्च आदर्श उपस्थित करते हैं। ‘लेडीज’शब्द आदर सूचक अवश्य है, किंतु उसमें माता शब्द जैसी श्रद्धापूर्ण पवित्रता नहीं है। कारण यह है कि ‘लेडी’भोग्या हो सकती है, उसके प्रति रतिभाव जागृत हो सकता है किंतु माता के प्रति ऐसी संभावना नगण्य है। रतिभाव की अस्वस्थ जागृति व्यभिचार की दुष्ट प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करती है और कभी-कभी तो बलात्कार जैसे जघन्य अपराध तक पतित कर देती है। अबोध बालिकाएं तक उस से नहीं बच पातीं। निठारी हत्याकांड जैसे आपराधिक प्रकरण इस दुखद तथ्य के साक्षी हैं।

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