Hindi, asked by pandeymannat00, 14 days ago

म् तत्
राजा वरं प्राप्य अतीव प्रसन्नोऽभवत्। सः मुनेः वचनं परीक्षितुम्
उत्कण्ठितोऽभवत्। सः समयं व्यर्थं न कुर्वन् पार्श्ववर्तिवस्तूनि
एकैकं स्पृष्टुम् आरभत। सर्वाणि वस्तूनि स्वर्णानि अभवन्।
एतद् विलोक्य विस्फारितनेत्रस्य अर्थपिपासोः राज्ञः तृष्णा वर्धते
स्म। सः सत्वरं धावं-धावं प्रासादस्य सर्वाणि वस्तूनि स्पृशति
स्म। लोभी राजा स्वर्णमयं प्रासादं दृष्ट्वा कनकचाकचक्येन
हर्षातिरेकगद्गदोऽभवत्। translate in Hindi​

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Answered by aryavkeshujpr
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Answer:

प्रिय भाई राहुल,

बहुत प्यार!

बहुत समय हो गया है तुमसे मिले हुए। कुछ समय पूर्व मुझे तुम्हारे मित्र राजन से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ था। उससे पता चला कि तुम अपना सारा समय पुस्तकें पढ़ने में व्यतीत करते हो। खेलों में भाग लेना और व्यायाम करना तुमने छोड़ दिया है। अब तुम संध्या के समय भी खेलने नहीं जाते हो। पुस्तकें पढ़ना अच्छी बात है। ये हमारे ज्ञान को बढ़ाती हैं और मनुष्य की सच्ची मित्र भी कहलाती हैं। परन्तु स्वास्थ्य मनुष्य के लिए अति आवश्यक है। हमने यदि अपने स्वास्थ्य की अनदेखी की तो जल्द ही बीमार पड़ सकते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए तुम्हें शारीरिक तौर पर स्वस्थ होना आवश्यक है। इसके लिए तुम्हें खेलों के लिए भी समय निकालना ज़रूरी है। व्यायाम करना भी अच्छा होता है। यह समय का अपव्यय नहीं है बल्कि स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक उपाय हैं।

मुझे विश्वास है कि तुम मेरी सलाह पर गौर करोगे एवं खेलों में हिस्सा लेना आरंभ करोगे।

तुम्हारा भाई,

विनीत

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