मृदा जैव पदार्थ के चार महत्व
मध्यप्रदेश में अपनाये जाने वाले पाँच, दो वर्षीय फसल चक्र लिखिये ?
कारकों का वर्णन कीजिए?
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Answer:
-मिट्टी की संरचना, जल-धारण क्षमता, पोषक तत्वों के खनिजकरण में कार्बनिक पदार्थों के बढ़ते स्तर
-कपास-मटर-परती-गेहूँ,चरी-गेहूँ कम चरी-मटर
-संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उसके सम्बन्ध का बोध होता है, उसे कारक कहते हैं।
Explanation:
-मृदा कार्बनिक पदार्थ आवश्यक पोषक तत्वों (जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम) को स्टोर करने और आपूर्ति करने और जहरीले तत्वों को बनाए रखने के लिए मिट्टी की क्षमता में काफी सुधार करता है। यह मिट्टी को मिट्टी की अम्लता में परिवर्तन से निपटने की अनुमति देता है, और मिट्टी के खनिजों को तेजी से विघटित करने में मदद करता है। कार्बनिक पदार्थ मिट्टी में भौतिक, रासायनिक और जैविक कार्यों में सुधार करके फसल उत्पादन और मिट्टी के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मिट्टी की संरचना, जल-धारण क्षमता, पोषक तत्वों के खनिजीकरण, जैविक गतिविधि और जल और वायु घुसपैठ दरों में कार्बनिक पदार्थों के स्तर में वृद्धि।
-इसके अतिरिक्त सीमित साधनों का अधिकतम उपयोग कर अधिक उत्पादन करना संभव होता है । एक वर्षीय:चरी,बरसीन, धान-गेहूँ-मूंग एवं टिण्डा-आलू-मूली करेला । द्विवर्षीय: कपास-मटर-परती-गेहूँ,चरी-गेहूँ कम चरी-मटर ।
-वाक्य में प्रयुक्त वह शब्द जिसका क्रिया के साथ प्रत्यक्ष संबंध स्थापित होता है उसे कारक कहते हैं। कारक शब्द 'कृ' धातु में 'अक' प्रत्यय के जुड़ने से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ 'करने वाला' होता है। हिंदी व्याकरण में 8 कारक होते हैं, जिन्हें मूल शब्द से अलग करके कारक विभक्ति या कारक चिह्न के रूप में लिखा जाता है।
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